षट्पंचाशिका विविध प्रश्नों का सटीक विचार l प्रश्नविज्ञान के मुलभूत सिद्धान्त l जीवन के ज्वलन्त प्रश्नों का समाधान l सात अध्यायों में समस्त विषयो का विभाजन l लगभग १४०० वर्ष...
Laghu Parasari - Hindi
लघु पाराशरी हमारी उस प्राचीन प्रतिपादन शैली का एक उत्कृष्ट व अनूठा नमूना है जिसके दर्शन हमें संस्कृत के सूत्रकारिका संग्रह आदि पद्धिति से रचित ग्रंथों में होते हैं i जिस प्रकार पाणिनीय व्याकरण में प्रवेश पाने के लिए लघु सिद्धांत कौमुदी के महत्त्व को सभी जानते हैं, उसी प्रकार फलित ज्योतिष के गहरे अध्ययन की और जिज्ञासुओं के लिए यह पुस्तक मुख्य प्रवेश द्वार है i यही कारण है की सुदीर्घ काल से यह फलित ज्योतिष के पठन - पाठन में अपना अक्षुण्ण स्थान बनाए हुए है i सम्पूर्ण पाराशर मत का ४२ श्लोकों में जो नवनीत प्रस्तुत किया गया है वह वास्तव में ज्योतिष में प्रवेश चाहने वालों के लिए हृष्टि - पुष्टि व तुष्टि प्रदान करने वाला है i
ग्रन्थ-परिच्चय आयु के विषय में हमारे तपस्वी ऋषियों ने अपनी उत्पाद्य प्रतिभा से अनेक पद्धतियों का विकास किया है। प्रस्तुत ग्रंथ में बादरायण, गर्ग, यवन, पराशर आदि महर्षियों एवं वराह,...
बृहत् पाराशर होराशास्त्रम ज्योतिष शास्त्र के प्रवतरको में महर्षि पराशर का सर्वोच्च स्थान है l पाराशर होराशास्त्रम भारतीय ज्योतिष में सर्वोपरि माना जाता है l वास्तव में पाराशर सिद्धान्तों का...
Book Title: Bhava ManjriAuthor: SC Mishra (Suresh Chandra Mishra)Language: HindiPublisher: Ranjan Publications Description:"Bhava Manjri" by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) is a detailed and insightful guide into the study of...
PRASNA VIDYA - Hindiविद्वान दैवज्ञ को सर्वप्रथम जातक या प्र्श्न विचार करते समय मनुष्यों की आयु की परीक्षा करनी चाहिए l आयु विचार के उपरान्त ही शेष शुभाशुभ फलों की परीक्षा करना...
Muhurat Chintamani by SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) Muhurat Chintamani is a comprehensive guide to astrology, specifically focused on the importance of auspicious timings (muhurats) in Hindu rituals and practices....
Ashtakavarg Mahanibandh (Hindi) by SC Mishra अष्टकवर्ग महानिबन्ध: ज्योतिष शास्त्र को वैदिक ज्ञान का नेत्र कहा गया है l इस कथन की प्रमाणिकता फलादेश की सत्यता एवं सटीकता पर आधारित...
दशाफल दर्पण जातकतत्व, पत्रिमार्गप्रदीप आदि प्रसिद्ध ग्रंथो के रचयिता श्री महादेव पाठक जी (रतलाम) के सुपुत्र श्री निवास पाठक कृत यह ग्रन्थ लगभग १५० सौ वर्ष पहले संस्कृत में लिखा...