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श्री स्वरोदय
श्री कल्पादि जैनागमों में अष्टांग निमित्त में 'स्वर' को एक प्रधान अंग माना गया है l हठयोग प्राणायाम से सिद्ध होता है और प्राणायाम स्वरोदय साधना के बिना अधूरा रह जाता है l मात्र इतना ही नहीं ज्योतिषी भी स्वरोदय ज्ञान के आभाव में लंगड़ा है l स्वरोदय ज्ञान द्वारा श्वास की परख कर ही ज्योतिषी प्रश्नो का सही समाधान देने में समर्थ हो पाता है l
पूर्वकाल में स्वर -साधना बहुत अच्छी तरह प्रचलित थी l पर आज इसका अभ्यास समाप्त हो गया है l इसका एक कारण यह भी है कि स्वर -योग के सिद्धान्तों एवं उसके व्यावहारिक उपयोग या अभ्यास को अत्यन्त गोपनीय रखा गया था l
चिदानन्द कृत ' श्री स्वरोदय' स्वर - शास्त्र की एक दुर्लभ अनुपम कृति है l इसकी सबसे बड़ी विशेषता सरल, सुबोध, सभी के लिए बोधगम्य l इसे कुशल सम्पादक एवं सिद्धहस्त लेखक आचार्य अशोक सहजानन्द ने सुसम्पादित कर सहज, सरल, प्रवाहमयी भाषा -शैली में उपलब्ध कराया है l
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
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2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
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