रुद्रयामल तंत्र Author - Rudradev Tripathi तंत्र साहित्य के विशाल सागर में अद्भुत रत्न के समान अपनी महानता और तांत्रिक प्रयोगों के लिए सर्वत्र विश्वविख्यात ग्रन्थ है l वर्षो के...
शक्ति हमेशा पूज्य है । शक्ति का ही एक रूप है यक्षिणी । ब्रह्माण्ड में अनेकों लोक हैं, सबसे निकट का लोक यक्ष और यक्षिणियों का है। पृथ्वी के निकट होने के...
उपाय मार्तण्ड Author- Veni Madhav Goswami
ज्योतिष का प्रमुख उद्देश्य आने वाली घटनाओं को बताना ही नहीं वरन आने वाले कष्टों से रक्षा और लाभ पहुंचना है l जन्म कुण्डली में विभिन्न भावो में स्थित ग्रहो का शुभाशुभ फल जातक को जीवन भर मिलता रहता है l परन्तु उनका विशेष फल महादशा, अन्तर्दशा की अवधि में मिलता है l अत: यथार्थ फल की जानकारी के लिए ग्रह, गोचर और ग्रह की महादशा अन्तर्दशा पर विशेष ध्यान देना चाहिए l
अनिष्ट ग्रहो की शांति के लिए हमारे ऋषियों ने अनेक प्रकार के यंत्र, तंत्र, मंत्र, एवं जड़ी -बूटियों द्वारा उपाए बताए है l इनमे मंत्र जाप सर्वोपरि है l इसके पश्चात हवन, दान, रत्न धारण करना आदि है l वर्तमान समय में लाल किताब के अनुभूत, उपाय कम खर्चे के और सरल है जिनके द्वारा भी कठिन से कठिन समस्या का समाधान हो जाता है l यदि मंत्र जप करने में कठिनाई आए तो अनिष्ट ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए 'ग्रह की वस्तु का दान, व्रत, रत्न धारण कर लाभ उठा सकते है l रत्नो एवं लाल किताब के उपायों का चमत्कारिक प्रभाव देखा गया है l परन्तु शुद्ध रत्न कीमती और आसानी से नहीं मिलते इसके लिए उपरत्न जड़ी -बूटी, ग्रह से सम्बन्धित वस्तु का दान एवं जल प्रवाह करके कष्ट से बच सकते है l प्रस्तुत पुस्तक में इन सबका विस्तृत विवेचन किया गया है l
Stotra Manjari (Bhakti, Mukti, Mann ki Shanti aur Grah Shanti ke Liye)लेखक: K Subhash Rao, KN Raoप्रकाशक: वाणी पब्लिकेशन यह पुस्तक भक्ति, मुक्ति, मन की शांति और ग्रह शांति के...
माँ कामाख्या की तांत्रिक साधना भारतीय वांगमय में कहा है कि कामाख्या देवी का साधक सम्पूर्ण जगत को जीतकर अपने वश में कर लेता है तथा मन्त्रबल से त्रिभुवन में...
महाम्रत्युन्जय Author- Rudradev Tripathi
भला मृत्यु असमय में आ जाय , ऐसा कौन चाहेगा ? लेकिन आने वाली अकाल मृत्यु रोग, व् घोर कष्टो का निवारण कौन कर सकता है ?
भगवान भुत भावन रूप में संसार का संहार करते है तो शंकर रूप से मनुष्यो को कष्टो से छुटकारा भी दिलाते है i अकाल मृत्यु कि तो क्या मजाल, साक्षात् मृत्यु भी जिनके सामने थर्राती है , वे है अमृत रूप भगवान महाम्रत्युन्जय अर्थार्त मृत्यु को जितने वालो में सर्वश्रेष्ट i इन्ही भगवान् महाम्रत्युन्जय की साधना व् सिद्धि का यह परिपूर्ण ; किन्तु सरल प्रयास निश्चय ही आपको पूर्ण शान्ति देगा i महाम्रत्युन्जय का अमृत सूक्त, कवच व् सहस्त्रनाम स्रोत इस ग्रन्थ की विशिष्ट उपलब्धियाँ है i
एक अक्षर वाले महामृत्युंजय मंत्र से लेकर एक हज़ार अक्षर वाले अमोघ मृत्यु विदारक मन्त्रों का सम्पूर्ण व् उनकी साधना का प्रकार आपको अन्य कही एक स्थान पर देखने को भी नहीं मिलेगा i सब कुछ इतनी सरल शैली में क़ि आप स्वयं आसानी से कर सकेंगे तथा प्रामणिकता ऐसी क़ि मानो किसी विद्वान पंडित से ही कराया गया ही i
मानसिक शांति, अकाल मृत्यु से बचाव, अचानक होने वाले कष्टो से छुटकारा, रोग शोक का समूल नाश, निर्बोध जीवन एवं इच्छा सिद्धि के लिए अवश्य पढ़े और प्रयोग में लाये i
माहेश्वर तंत्र Author-Rudradev Tripathi "माहेश्वर तंत्र " आगम तंत्रो क़ी मुकुट मणि है i माहेश्वर तंत्र साधना पर प्रायः सभी प्रमुख तंत्र ग्रंथो ने प्रकाश डाला है i "माहेश्वर तंत्र...
Uddish Tantra Sadhna Avam Pryog - Hindi Author- CM Shrivastava तंत्र शास्त्र भी अन्य- विज्ञान - विधाओ की तरह सिद्धान्त और प्रयोग इन दोनों ही पक्षो की व्याख्या करता है...
Hanumaan Tantra Sadhna [Hindi] by Radhakrishan Shrimali Publisher: Diamond Books हनुमान तंत्र साधना हनुमान तंत्र साधना बजरंगवली के उपासना रहस्यों को उद्घाटित करती है l उपासना या साधना शंका का...
Author-- CM Shrivastava
भगवान भैरवदेव को रूद्र रूप माना जाता है i यह तत्काल सिद्धिपत्र है i जहां अन्य देवता दीर्घकाल की साधना के बाद कदाचित ही प्रस्नन होते है, वही भैरवदेव तुरंत फल देते है i ये इतने कृपालु एवं भक्त -वत्सल है की सामान्य -स्मरण एवं स्तुति से ही प्रसन्न होकर भक्त के संकटो का निवारण कर देते है i वेदो में रूद्र की जो भय - हरण कारी स्तुति की गई है और उपनिषदों में भयावह स्वरूपधारी होने से जिसके भय से इंद्रादि देवो के द्वारा अपने - अपने कर्म को करने का जो वर्णन हुआ है, वह भगवान् भैरवदेव की ही महिमा है i इतना ही नहीं, भैरव ही ब्रह्मा और विष्णु भी है i
विश्व में भैरवदेव की साधना सात्विक और तामस दोनों प्रकार से की जाती है i अपने श्रद्धावान साधक पर तो ये इतने प्रसन्न होते है की एक तरह से वह उसके वश में ही हो जाते है i यही सिद्धि की अवस्था है i बड़े -बड़े देवताओ और असुरो ने अलौकिक शक्तियां इनकी सिद्धि करके ही प्राप्त की थी i आप भी इनकी साधना -आराधना करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करे i
डा वातानूकूलित आश्रमों में बैठकर कुण्डलिनी द्वारा शक्तिपात करने वाले महात्माओं से, साधकों को विशेषत: सावधान रहना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा दिए गए दोष पूर्ण ज्ञान से साधकका जो अहित होता है...