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Sukh Bhav ki Gatha [Hindi]

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सुख भाव की गाथा

कुंडली के चौथे घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में मातृ भाव तथा सुख स्थान भी कहा जाता है तथा जैसे की इस घर के नाम से ही पता चलता है, यह घर कुंडली धारक के जीवन में माता की और से मिलने वाले योगदान तथा कुंडली धारक के द्वारा किए जाने वाले सुखो के भोग को दर्शाता है I चौथा घर कुंडली का एक महत्वपूर्ण घर है तथा किसी भी बुरे ग्रह का चौथे घर अथवा चन्द्रमा पर बुरा प्रभाव कुंडली में मातृ दोष बना देता है I किसी व्यक्ति के जीवन में उसकी माता की ओर से मिले योगदान तथा प्रभाव को देखने के लिए तथा माता के साथ संबंध और माता का सुख देखने के लिए कुंडली के इस घर का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है I कुंडली के इस घर से किसी व्यक्ति के बचपन में उसकी माता की ओर से मिले सहयोग तथा उसकी मुलभुत शिक्षा के बारे में भी पता चलता है I

कुंडली का चौथा घर व्यक्ति के जीवन में मिलने वाले सुख, खुशियाँ, सुविधाओं तथा उसके घर के अंदर के वातावरण अर्थार्त घर के अन्य सदस्यो के साथ उसके संबंधों को भी दर्शाता है I किसी व्यक्ति के जीवन में वाहन-सुख, नोकरो -चाकरों का सुख, उसके अपने मकान बनने या खरीदने जैसे भावो को भी कुंडली के इस घर से देखा जाता है I कुंडली में चौथे घर के बलवान होने से तथा किसी अच्छे ग्रह के प्रभाव में  होने से कुंडली धारक को अपने जीवन काल में अनेक प्रकार की सुख-सुविधाओ तथा ऐश्वयों का भोग करने को मिलता है तथा उसे बढ़िया बाहनो का सुख तथा नए माकन प्राप्त होने का सुख भी मिलता है I दूसरी ओर कुंडली के चौथे घर के बलहीन अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने की स्थिति में कुंडली धारक के जीवनकाल में ऊपर बताई गई सुख- सुविधाओ का आम तौर पर आभाव हो जाता है Iख भी मिलता है I दूसरी ओर कुंडली के चौथे

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