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डा वातानूकूलित आश्रमों में बैठकर कुण्डलिनी द्वारा शक्तिपात करने वाले महात्माओं से, साधकों को विशेषत: सावधान रहना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा दिए गए दोष पूर्ण ज्ञान से साधकका जो अहित होता है उसका कोई निवारण नहीं है। साधना के समय इस अतिरिक्त शक्ति क़ो सहन करने की मनुष्य में क्षमता नहीं होन . से तथा गुरु कों इसके उचित उपयोग का ज्ञान न होने से साधक का मानसिक सन्तुलन बिगड़ जाता है; जिसका कोई इल्लाज़ नहीं है। परन्तु मखमली गदूदों पर बैठे तथाकथित सिद्ध गुरुओं को इस भयावर्हर्ती क़ी ओर देखने का अवकाश ही नहीं है।
इन्हीं कारणों से कुछ लोग योगशास्त्रों से भयभीत एवं विमुख भी हुए हैं। इन आधुनिक गुरुओं के दुष्प्रभाव से योगज्ञान की गरिमा एवं कुण्डलिनी विद्या की वास्तविकता क्या नष्ट हो जाएगी ?...क्या यह इतना आसान है ?...लगता तो नहीं, पर महती आवश्यकता है कि आज का युवावर्ग भारत की इस अप्रतिम विद्या का ज्ञान प्राप्त करे।
इसी आशा से यह ग्रन्थ आपके समक्ष है। अक्षर-अक्षर ब्रह्म की ओर बढ़ते हुए अनन्त-असीम आकाश की ऊँचाईयों में...पूर्ण पूर्ण में लीन होकर आप भी परम तृप्ति का अनुभव करें।
--सिद्धयोग कुण्डलिनी ज्ञान प्रशिक्षण शिविका
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |