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Hathyog Pradipika - Hathyog ka Utkarsh [Hindi] By
Publisher: Randhir Prakashan
चित्त की वृत्तियों के सांसारिक प्रवाह को अन्तर्मुखी करने की प्राचीन भारतीय साधना पद्धति ही हठयोग है। हठयोग शारीरिक एवं मानसिक श्रेष्ठता हेतु विश्व की प्राचीनतम प्रणाली है | योग विद्या के श्रेष्ठ प्रतिपादन हेतु ही स्वामी स्वात्माराम जी ने हठयोग प्रदीपिका की रचना की थी ।
“ह” एवं “ठ” के योग से मिलकर बना है हठयोग |“ह? अर्थात सूर्य “ठ”अर्थात चन्द्र | इन दोनो का योग ही प्राणों के आयाम को प्रतिबिम्बित करता है। इनके समन्वय की प्राणायाम प्रक्रिया ही “ है”और “ठ” का योग अर्थात हठयोग है |
हठयोग शुद्धि पर विशेष बल देता है इसलिये इसमें षट्कर्मो पर विशेष महत्व दिया गया है | हठयोग प्रदीपिका के आसन ही आज योगा बनकर पूरे विश्व को भारत की इस धरोहर का परिचय करा रहे हैं। वास्तव में हठयोग प्रदीपिका ग्रन्थ हठयोग का उत्कर्ष है|
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |