जन्य के पहले हम कहा थे? मृत्यु के वाद हम कहा जायेगे? पुनर्जन्म होता है क्या? मृत्यु का सत्य क्या है? आदि रहस्यपूर्ण जटिल प्रश्नों के सरल, सत्य उत्तर सैकडों साधकों ने पास्टलाइफ रिग्रेशान अर्थात सहजीवन प्रज्ञा के प्रयोगों से गुजरकर पाये है जो इस पुस्तक में रोचक वृतांत के रूप में संकलित केये गये हैँ।आप भी इन प्रश्नों के उत्तर पा सकते हैं । फिर देर किस बात की.. . ..
लेखक के बारे में . . .
1971 में दमोह में जमी डॉ. प्रमोद जैन की स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर दमोह, सैनिक स्कूल रीवा व केंद्रीय विद्यालय रीवा में हुई। MBBS इन्होंने बी.जे. मेडीकल कालेज पूना से एवं DCH व DNB मेडीकल कालेज रीवा सै किया। वर्तमान में रीवा में इनका मुरुकृपा हास्पिटल व रिसर्च सेण्टर है। ये रिएक्ट-सामाजिक संस्था के बोर्ड आफ डायरेक्टर हैं, मातृछाया ममिति कै सदस्य हैं, ओशोधारा में आचार्य हैं, सम्मोहनविद व एक अच्छे शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। दैनिक समाचार पदों में इनकी कविताएं व लेख निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं। ये अपने मोबाइल नंबर 09425185006 पर रात नौ से दस बजे तक बात करने के लिए उपलब्ध रहते हैं।