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Aadi Sach Jugadi Sach - Sant Mat 1 [Hindi] by Osho Siddhartha
Publisher: Limass Foundation
आदि सचु जुगादि सचु संत मत-१
एक-एक शब्द वेद है I 'एक ओंकार' कहकर सब कुछ कह दिया I वह एक है I सारे वेद आ गये I जहां देखता हूँ, वही है I तो पहली घोषणा वह एक है I लेकिन कौन है वह ? वह ओंकार है I पुरे अस्तित्व की गूंज है I पुरे अस्तित्व का अलोक है I पुरे अस्तित्व में चैतन्य ऊर्जा की तरह व्याप्त है I पुरे अस्तित्व में आनंद की तरह छाया हुआ है I वह ओंकार है 'सतिनामु' I बाकी जो भी तुम नाम से पुकारते हो, वृक्ष कहते हो ; वृक्ष है कहां ? ओंकार ही तो है I ओंकार की लहर ही तो है I मनुष्य कहो, पशु कहो, पक्षी कहो i ये तुम्हारे दिए हुए नाम है I 'एक ओंकार सतिनामु' क्योकि ओंकार ही शाश्वत है I ओंकार ही सागर हैं, बाकी तो सब लहरे है I
गुरु नानक कहते है - लेकिन तुम जानोगे कैसे उसे ? 'गुर प्रसादि ' I दो पंक्तियों में सारे वेद आ गये I सारे उपनिषद आ गये I जब भी किसी ओंकार का बोध होगा I जब भी किसी परमात्मा की प्राप्ति होगी, सदा गुरु के द्वारा होगी I बिना गुरु के नहीं होगा I गुरु अमरदास बड़ी प्यारी बात कहते है -
' जिसका गृह तिन दिया ताला, कुंजी गुरु सौ पाई I '
जिसका घर है उसने ताला लगा दिया है और चाभी गुरु के पास रख दी है I मैं बहुधा एक उदाहरण देता हु I जैसे तुमने एक फ्लैट बुक किया है I चाभी बिल्डर ने केयरटेकर को दे दी है I तुम अपने फ्लैट में भी जाना चाहो, तो तुम्हे केयरटेकर के पास जाना होगा I चाभी उससे लेनी होगी I ऐसे ही परमात्मा बिल्डर है और गुरु केयरटेकर I
अनेक उपाय करे नहि पावे, बिन सतगुरु सरणाई I '
तुम कितना ही उपाय करो, लेकिन बिना सद्गुरु के पास गए, बिना केयरटेकर के पास गये, तुम अपने इस घर में प्रेवश नही कर सकते I गुरु नानक कहते है वह गोविन्द कैसा है ?
'आदि सचु, जुगादि सचु, है भी सचु नानक होसी भी सचु I '
वही एक शाश्वत है, वही एक सत्य है I
साधको के लिए इन प्रवचनों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है, सद्गुरु ने स्वयं इसका संशोधन किया है I
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