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Sheel Gandho Anuttaro [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
शील गंधो अनुत्तरो ( ब्रिटेन यात्रा के संस्मरण )
ब्रिटेन में ही मेरे मन में संकल्प जागा कि यदि भारत को महान भारत बनना है, तो हमें अपनी कार्यशैली में इन दो बातो का स्थान देना होगा I लंदन में मैंने एक गीत लिखा -
हरा - भरा हिंदुस्तान चाहिए, हमको भारत महान चाहिए ;
क्रांति ला दे कुशलता में जो, हमको ऐसा इंसान चाहिए I
जो वतन के लिए मर मिटे, हमको ऐसे जवान चाहिए ;
साल भर जो उगाए, फसल, हमको ऐसा किसान चाहिए I
संत- नानक कबीरा से हो, तुलसी- मीरा के गान चाहिए ;
नेता जाति-वर्ग पोषक नहीं, गाँधी से धर्म -प्राण चाहिए I
दुःख का जो निवारण करे, बुद्ध - से ज्ञानवान चाहिए ;
कर्म का योग बतलाएं जो,कृष्ण जैसे भगवान चाहिए I
सब सुखी स्वस्थ समृद्ध हो, हमको ऐसा विज्ञानं चाहिए ;
धर्म का मर्म समझाए जो, ओशो - से महाप्राण चाहिए I
ब्रिटिश प्रवास के अंतिम दिनों में प्रशिक्षण कोऑडिनेटर को मैं बताता हु कि मेरा विचार ब्रिटेन का सफरनामा लिखने का है I वे खुश होती है और चहक उठती है - " इसका नाम क्या रखेगे ? "
" शील गंधो अनुत्तरो I "
" क्या मतलब?"
" यह गौतम बुद्ध की उक्ति है I " इसका अर्थ है कि शील की सुंगंध सर्वोत्तम है I " देयर इज नो फ्रेग्ररेंस व्हिच कैन मैच विथ दि फ्रेगरेंस ऑफ पोलाइटनेस I "
ब्रिटेन से लौटकर मैंने शीघ्रः ही यह सफरनामा पूरा कर लिया I पहली बार यह एस.ई .सी. एल. की मासिक पत्रिका 'कौशलनाद' में
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