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Prabhu ki Khoj [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
प्रभु की खोज
अगर प्रभु के मार्ग पर चलना चाहते हो, तो विवेक पैदा करने की जरूरत है I एक तो भंवर जाल है I संसार का जाल है I इससे निकलना मुश्किल है और उसके बाद बगुलों का जाल है, पंडितो का जाल, मुल्लाओ का जाल, मौलवियो का जाल, मत-मतान्तरों का जाल, तो बड़ा मुश्किल मामला है I जैसे तुम देखते हो, मछुआरा जाल लगाता है, कोई मछली फंस जाती है I कुछ मछलियां उस जाल से बचने के लिए उछलती है, तो कुछ बगुले इन्तजार करते रहते है उनको पकड़ने के लिए और जैसे ही वे उछलती है, उन मछलियों को पकड़ लेते है I ऐसे ही कुछ लोग प्रभु के खोज में चलते है, प्रयत्न करते है इस भंवर जाल से मुक्त होने के लिए I लेकिन बगुलों का जाल है, इसलिए कोई विद्वता में अटक जाता है, कोई मंदिर में अटक जाता है, कोई मस्जिद में अटक जाता है , कोई अनुष्ठान में, तो कोई व्रत पर अटक जाता है, कोई तीर्थ पर अटक जाता है I अटकाव बहुत है इस मार्ग में I
सद्गुरु ओशो सिद्धार्थ जी द्वारा अलग-अलग शहरो में धर्म और अध्यात्म पर हुए प्रवचनों का संकलन है प्रभु की खोज I ये केवल प्रवचन नहीं है I धर्म और अध्यात्म का पूरा मानचित्र है, जो न केवल प्रभु की दिशा के महत्वपूर्ण माइलस्टोन दर्शाता है, बल्कि मार्ग के विभिन्न अवरोधों और उनसे बचने के अत्यंत सटीक उपायो का भी विस्तृत वर्णन करने में सक्षम है ये संकलन I
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