चन्द्रकला नाड़ी चन्द्रकला नाड़ी मूल संस्कृत श्लोको का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है, इसको हिंदी भाषा जनता की सेवा में प्रस्तुत करने का अर्थार्त इसके सार की व्याख्या करने के प्रयास...
फलित नाड़ी ज्योतिष ग्रह युति (एक विह्गम दृष्टिपात )
१. नाड़ी ग्रंथो का परिचय
२. भृगु - नंदी नाड़ी : मूल सिद्धांत
३. ग्रहो की प्रवृति
४. दो अथवा तीन ग्रहो की युति के प्रभाव
५. चार या अधिक ग्रहो की युति
६. जीवन पथ विशलेषण - गुरु गोचर चक्र
७. नाड़ी ज्योतिष के ग्रह युति सरेखण एवं कारकत्व
NADI JYOTISH- Accurate Predictive Methodology - Hindi
इस पुस्तक में लेखक ने जीवन की मुख्य घटनाये जैसे की मुकदमेबाजी, शिक्षा, धन एवं व्यापार, स्वास्थ्य, यात्रा, संतान, मुहर्त एवं उपायो के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया गया है I पाठको को ज्ञात हो कि ज्योतिष में यह अपने प्रकार कि एक मात्र उपलब्ध पुस्तक है I जीवन क़ी सब घटनाओ के बारे में इस पुस्तक में लिखे क्रमबद्ध नियमो से सटीक भविष्यवाणी कर सकते है I परंपरागत ज्योतिष में हज़ारो नियमो एवं योगो आदि से उत्पन्न असमंजस इस पुस्तक को पढ़ने के बाद समाप्त हो जायेगा I इसलिए ज्योतिष से जुड़े सभी सवालो के जवाब के लिए अत्यंत आवश्यक
है I
“नाड़ी ग्रंथ भविष्य-चौंका देनेवाला चमत्कार” प्राचीन भारतीय महर्षियों की दिव्यदृष्टि है। ताड़ के पत्तों पर आधारित इन भविष्यवाणियों को लेखक विंग कमांडर शशिकांत ओक ने इस पुस्तक में बड़े प्रमाणिक,...
यह पुस्तक ज्योतिष व अन्य सम्बंधित विषयों पर लिखी हुई कोई नियमित पुस्तक नहीं है, बल्कि इस पुस्तक में लिखित नाड़ियां लेखक श्री ए वी सुंदरम द्वारा वर्णन की गई हैं...
NADI JYOTISH SHASTRA ज्योतिष शास्त्र की ही एक प्राचीन विधा है - - नाड़ी ज्योतिष I यह दक्षिण भारत में विशेष रूप से प्रचलित है I दक्षिण भारत में अनेक नाड़ी ग्रन्थ लिखे गए, जो मानव जीवन की रहस्यमय घटनाओ का उदघाटन करते है I ये नाड़ी ग्रन्थ ग्रह - स्थिति पर आधारित होने के बावजूद फलादेश प्रधान है I जन्मकुण्डली का विश्लेषण सूक्ष्मता से करने में नाड़ी ग्रन्थ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है I प्रस्तुत पुस्तक 'नाड़ी ज्योतिष शास्त्र ' चंद्र नाड़ी या...
एक समय ऐसा था जब ज्योतिष ज्ञान को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था लेकिन कालांतर में जब विदेशी शासकों का साम्राज्य रहा तो उन्होंने हिन्दू संस्कृति को क्षति पहुंचाई तथा धार्मिक...
जिस प्रकार उत्तर भारत में भृगु संहिता एवं रावण संहिता प्रचलन में है उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों का प्रचलन है l उत्तर भारत में भृगु संहिता रखने वाले को भृगु शास्त्री कहते हैं उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी शास्त्री या नाड़ी रीडर कहते हैं दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों की संख्या निम्न है l
१ नाड़ी ग्रन्थ ७५
२ मंत्र नाड़ी ७२
३ तंत्र नाड़ी ७२
उपरोक्त में कुछ ही उपलब्ध हैं तथा किसी किसी में लिखित फलादेश सही नहीं है l महत्वपूर्ण नाड़ी ग्रन्थ हैं, चंद्र कला नाड़ी, कश्यप नाड़ी, भृगु नंदी नाड़ी, ध्रुव नंदी नाड़ी, अरुण संहिता, भृगु प्रश्न नाड़ी, कश्यप होरा, कपिला नाड़ी, शुक्र नाड़ी, भुजंदर नाड़ी, सप्त ऋषि नाड़ी आदि l
यह पुस्तक इस बात को ध्यान में रख कर लिखी गई है कि पाठकगण ज्योतिष से अनभिज्ञ हैं इसीलिए प्रारंभिक ज्योतिष का एक अध्याय आरम्भ में दिया गया है जिस से नवीन विद्यार्थी भी नाड़ी ज्योतिष को समझ सके l नाड़ी ज्योतिष में लगन का महत्व नहीं है मुख्यतः शनि एवं गुरु के गोचर से फलादेश का कथन किया जाता है l
हाथ का अंगूठा - भाग्य का दर्पण अंगूठा चैतन्य शक्ति का प्रधान केंद्र है I इसका सीधा सम्बन्ध मस्तिक से होता है I फलत: अंगूठा इच्छा शक्ति का केंद्र माना...
विभिन्न वर्गों की तुलना में नवांश की अपेक्षाकृत महत्ता सभी लोगो ने स्वीकार की है I ज्योतिष इसे जन्मकुंण्डली के ठीक बाद या समकक्ष या उससे भी बेहतर मानते है I लगभग सभी ज्योतिष कोई भी पूर्वानुमान देने से पहले , विभिन्न भावो और ग्रहों की शक्ति जानने के लिए कुंण्डली और नवांश का अध्ययन साथ-साथ करते है I वैदिक ज्योतिष में नवांश की एक उत्कृष्ट स्थिति है और इसके बहुपक्षीय प्रयोग तथा निपुणता किसी भी विषय के सूक्ष्म परिक्षण और गहन अध्ययन के लिए बरबस ध्यान आकर्षित करती है I जेमिनी और नाड़ी पद्धति के अतिरिक्त ज्ञान और बुद्धिमतापूर्ण सिद्धांतो ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है I लेखक ने इन दोनों पद्धतियों का समावेश इस पुस्तक में करने का प्रयास किया है I जन्म कुंण्डली का अध्ययन भावो और ग्रहों के केवल स्थूल संकेत और गुण बताते है I जबकि नावश उनके विस्तृत और सूक्षतम् गुणों को बताते है I नवांश का आकार और विस्तार मूल रूप से एक चौथाई भाग के बराबर है I एक भाव / राशि लगभग ३० डिग्री का होता है जबकि नवांश उसका सूक्षतम् रूप (राशि का १/९ भाग या केवल ३" २०' ही) है जो इसे विलक्षण गुण देता है I