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गायत्री मंत्र साधना व् उपासना
गायत्री मन्त्र को वेदो में महामंत्र कहा गया है I इस महामंत्र में है - उपासना, स्तुति , ध्यान एवं वंदना का समन्वय I
गायत्री मंत्र ही ऐसा है, जिसका विधान शास्त्रों ने चारो आश्रमों के लिए किया है I इस तरह यह ब्रह्मचारी को विधा देता है, गृहस्थ को धन - समृद्धि व् ऐश्वर्य, वानप्रस्थी को इष्ट के प्रति अगाध निष्ठां तथा विवेक और सन्यासी को अध्यात्म ज्ञान I यह एक ऐसा कल्पवृक्ष है, जिसका आश्रय लेने वाले की समस्त इच्छाए पूर्ण होती है I
गाँधी जी के अनुसार, गायत्री मन्त्र का जाप यदि शुद्ध चित्त होकर निरंतर किया जाए तो जापक रोग ग्रसित नहीं होता व् उसके कष्ट भी दूर हो जाते है I डॉ. राधाकृष्णन के शब्दों में, गायत्री मंत्र इंसान को नवजीवन प्रदान करने वाली एक प्रार्थना है I रबीन्द्रनाथ ठाकुर का कहना था कि गायत्री मंत्र से उन्होंने वह सब कुछ प्राप्त कर लिया, जिसकी उन्हे आशा न थी I उनके कथनानुसार " इस मन्त्र ने मेरे आंतरिक चक्षु खोलकर, मुझे श्रेष्ठ बुद्धि प्रदान कर सदमार्ग दिखाया है I ' श्री रामचंद्रजी ने लक्षमण से व् भीष्म पितामह ने कौरव - पांडवो से गायत्री मन्त्र कि महिमा का गान किया है और श्री कृष्ण ने तो यहां तक कह दिया कि मंत्रो के विभिन्न रूपों, साधना पद्धतियों को हमने इस पुस्तक में दिया है I गायत्री में निष्ठा रखने वाले श्रद्धावान भक्तो के लिए यह सामग्री उपयोगी होगी I
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