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मंगली दोष कारण एवं निवारण
मंगल ग्रह अपने नाम के अनुरूप सुख और मंगल दाता है l लेकिन जो व्यक्ति धर्म और मर्यादा के विपरीत आचरण करता है, उसे यह मंगल कठोर दंड देता है l इसीलिए इसे कुर ग्रह कहा जाता है l उर्दू भाषा में मंगल को 'जल्लादे -फलक' कहते है अर्थार्त 'आसमान का हत्याdरा 'l वैज्ञानिक इस ग्रह को शौर्य एवं शक्ति का प्रतिक रूप ग्रह मानते है l
अपनी उग्रता और तेजस्विता के कारण 'मंगल' जंहा देवताओ का सेनापति है, वही जातक की कुण्डली के १,४,७,८ एवं १२ वे घर में बैठकर यह वैधव्य एवं विधुर योग का कारक बन जाता है lयदि किन्हीं विशेष स्थितियों में ऐसा न भी हो, तो निश्चित रूप से मंगलदोष से ग्रस्त जातक का दाम्पत्य जीवन आपसी कटुता से भरा रहता है l इसीलिए विवाह - मेलापक के समय मंगल की स्थिति, उसकी दशाओ और उससे बनने वाले विभिन्न योगो पर विशेष रूप से विचार किया जाता है l
प्रस्तुत पुस्तक में, इसी सन्दर्भ में मंगल के इष्ट -अनिष्ट प्रभावों की विवेचना करते हुए उनसे मुक्त होने तथा उसकी शांति के उपायों की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है l मंगल एवं मंगलीक दोषो के कारण और निवारण पर एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक l
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