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Kaalsarp Yog (Hindi) by Dr Radhakrishan Shrimali
कालसर्प योग
कालसर्प का आशय है - समय या मौत रूपी सांप, जो मनुष्य के प्राण तक ले लेता है l इस योग की उत्त्पति तब होती है जब जन्मकुंडली के किसी भी स्थान पर राहु और केतु आमने -सामने हो तथा अन्य ग्रह इन छाया ग्रहों के बीच में हों l
कालसर्प योग एक भयानक और पीड़ादायक योग है l इसके कारण जातक को जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है l नौकरी, व्यवसाय तथा सुख -समृद्धि में रुकावट बनी रहती है l संतान पीड़ा पहुंचाती है और किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती l
ऐसे योग के निवारण के लिए शांति कर्म, सर्प प्रार्थना, राहु- केतु पूजन, नारायण बलि कर्म तथा रुद्राष्टाध्यायी आदि परम आवश्यक होते है l इस पुस्तक में इन्ही विषयो की शास्त्र सम्मत जानकारी दी गई है ताकि व्यक्ति इस भयानक योग का शमन करके सुखी जीवन व्यतीत कर सके l
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