bhavphal-vichar-vol-1-and-2
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Bhavphal Vichar (2 Volume set) [Hindi]

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विहंगम दृष्टि : भाग एक

सभी द्वादश' लग्न जातक के गुण दोष तथा व्यक्तित्व का परिचय।

सभी लग्नों के लिए शुभ व अशुभ ग्रह।

लग्न संबंधी योग (धनी, संतान सुख, दांपत्य सुख आदि)

ग्रह व धन प्राप्ति के स्नोत।

धनी बनने के योग (वाणी व विद्या विचार)

तृतीय भाव संबंधी योग (पराक्रमी, बुद्धिमान, धनी आदि)

चतुर्थ भाव संबंधी योग (माता, भूमि भवन तथा वाहन सुख)

पंचम भाव संबंधी योग (संतान सुख, धन प्राप्ति, विद्या तक बुद्धि के योग, उपासना विचार)

षष्ठ भाव के भाव के शत्रु विचार, रोग विचार, अग्नि भय आदि।

सप्तमस्थ भावेश फल |

सप्तम भाव सम्बन्धी योग ( सुखी दांपत्य जीवन , निष्ठावान पत्नी , विवाह कब, प्रेम विवाह आदि )

विवाह की समस्या व समाधान भाग दो

क्रूर मृत्यु या हत्या के योग

अष्टम भाव सम्बन्धी योग ( धन प्राप्ति के योग, अल्पायु -माध्यम आयु - दीर्घायु के योग, मृत्यु कैसे, कहाँ और कब) 

नवम भाव पर ग्रह की दृष्टि का फल।

नवम भाव संबंधी योग (उपासना व पिता का सुख, विविध योग)

दशम  भाव संबंधी योग (कार्य सिद्धि, सत्कर्म कलक, संन्यास योग आदि

आजीविका विचार।

सर्वाधिक बली ग्रह से आजीविका |

बुध की युति  तथा बुध पर दृष्टि से आजीविका।

एकादश भाव सम्बन्धी योग ( धन लाभ के योग , धन लाभ के स्रोत , विविध योग )

एकादश भाव से मैत्री विचार ( राधा रानी व भगवान कृष्ण का मैत्री विचार )

द्वादश भाव सम्बन्धी योग ( दान व परोपकार के योग, रोग व पीड़ा , अपव्यय या निर्धनता , अन्य योग )

देह विचार - उदहारण कुंडलिओं रंग व आकृति का विचार |

यश ख्याति आठ उदहारण कुंडलिओं में यश व ख्याति का विचार |

धन वैभव व सम्पन्नता तेरह उदहारण कुंडलियों पर विचार |

विद्वान व मनस्वी सोलह उदहारण कुंडलियों पर विचार |

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