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स्वर्ग के सुखों में आठ सिद्धियों तथा नौ निधियों में | शंख एक अमूल्य निधि है। कामधेनु शंख से कल्पवृक्ष की तरह, व्यक्ति हर मनोकामना पूर्ण कर सकता है। शंख रोग उपचार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभावशाली, चमत्कारी औषधि के रूप में काम आता है। |
दरिद्रता एवं मानव जीवन के हर प्रकार के कष्टों से | व्यक्ति, दिव्य शंख उपयोग से सफलता प्राप्त कर जीवन को सुखमय बना सकता है।
. शंख की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है कि शंख के अगले भाग में गंगा और सरस्वती, मध्य में वरुण और पृष्ठ भाग में ब्रह्मा का निवास है। शंख के दर्शन मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
रुद्राक्ष ऊर्जा व शक्तिदायक होते हैं। यह ग्रहों की अशुभता को कम कर उनकी शुभता को बढ़ाते हैं अतः यह किसी भी क्षेत्र में उपयोग में लाए जा सकते हैं। जैसे स्वास्थ्य की अनुकूलता, शिक्षा में सफलता, व्यवसाय में उन्नति, स्थायी शांति, मुकदमे आदि में विजय व शक्ति प्राप्ति हेतु इनका उपयोग कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। '
| शालिग्राम भगवान श्री विष्णु का विग्रह है और विष्णु स्वयं लक्ष्मी के पति हैं। अतः घन सिद्धि ॥ में शालिग्राम का चमत्कारिक परिणाम प्रदान करने वाला प्रयोग दिया गया है, जिसे कर पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है।
ज्योतिष में मोती चन्द्रमा का प्रिय रत्न माना जाता है। मोती धारण करने से तेज, रूप, सौन्दर्य, कान्तिबल, ज्ञान एवं बुद्धि की वृद्धि होती है। मोती की भस्म का भी उपचार में विशद उपयोग है। इसके जरिए आयुर्वेद में कई रोगों का उपचार होता है।
शास्त्रों में इन वस्तुओं को दैवी रूप इसलिए भी प्रदान किया गया है क्योंकि इनके विविध उपयोग हैं। ज्योतिषीय अवधारणाओं में रुद्राक्ष शंकर अर्थात् शनि और चन्द्र के दुष्प्रभाव को शमन करने वाला माना गया है, वहीं मोती चन्द्रमा की स्थिति को सुधारता है। शालिग्राम बुध के साथ जोड़ा जाता है। शंख भी चन्द्रमा और बुध अर्थात् विष्णु का रूप समझा जाता है। इन | मान्यताओं के पीछे एक सुनिश्चित मनोविज्ञान काम करता है जोकि पुस्तक में बताया गया है।
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