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प्रस्तुत ग्रन्थ आचार्य वराहमिहिर को फलित ज्योतिष यर प्रमुख रचना है। जिसका स्थान शिरोमणी पें मानों जाता है। ज्योतिष का प्रत्येक विषय इसमें मूल रुप से निहित हैं। मान्यता है कि इसका एक-एक अक्षर अपनी जगह यर सर्वथा उपयुक्त एवं गहरे अर्थों से युवत है। इसके बिना एक पग चलना भी दूभर है। इममें आप पाएँगे जातक, आधान , नष्ट जातक, नक्षत्र, राजयोग,आयुर्दाय, दृष्टिफत्न, अनिष्ट योग , जीविका का संकेत दशांतर्दशा , अष्टकवर्ग, स्त्रीजातक ,धनदाता ग्रह दक्षिण मत-मतान्तरों की झलक तथा समन्वय के विवेचन के साथ ही साथ फलित के गंभीर सूत्र भी आचार्य बराह मिहिर के लिए प्रसिद्ध है कि इनके दो ग्रन्थ बृहज्जातक ( होराशास्त्र ) व बृहत् संहिता अत्भुत एव बेजोड़ है। पूरे विश्व में इन जैसे ग्रन्थ नहीं जो सच्वस्नाईं के इतने निकट हों इन जैसे ग्रंथों के आधार यर ही हमारे भारतीय ज्योतिष की श्रेष्ठना एवं उच्वता मानी जाती है।
सभी रहस्यों को खोलने वाली यह विद्वता पूर्ण टीका ( व्याख्या ) नूतन साज़ - सज़्ज़ा , स्वच्छ छपाई मैं उनम प्रस्तुतिकरण आदि मन को पूर्ण रूप से आकर्षित करनी है, जिसके फलस्वरूप आपअपने मंग्रह में रखने का मोह न छोड़ सकेगे ।
श्रेष्ठ एब अनिवार्य ग्रन्थ
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
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20kg | ₹850 |