Candipathah: Incorporating Sridurgasaptasati (Devimahatmyam) and the associate Hymns with text in Devanagari and Roman in Sanskrit English by
Allahabadia Pran Nath Pankaj
‘वक्रेश्वरी की भैरवी’ योग-तन्त्र-परक कथाओं का संग्रह है। यद्यपि ये अविश्वसनीय और असम्भव-सी लगेगी किन्तु स्वाभाविक भी है। आज के वैज्ञानिक युग में इन पर विश्वास करना मुश्किल है—इन्द्रियों की सीमा से परे घटित घटनाओं पर। इस भौतिक जगत में दो सत्ताएँ हैं—आत्मपरक सत्ता और वस्तुपरक सत्ता।वस्तुपरक सत्ता के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं को तो प्रामाणित किया जा सकता है, लेकिन आत्मपरक सत्ता को नहीं। इसलिए कि आत्मपरक सत्ता की सीमा के अन्तर्गत जो कुछ भी है, उनका अनुभव किया जा सकता है, और उसकी अनुभूति की जा सकती है।
गायत्री मंत्र साधना व् उपासना Author- CM Shrivastava गायत्री मन्त्र को वेदो में महामंत्र कहा गया है I इस महामंत्र में है - उपासना, स्तुति , ध्यान एवं वंदना का...
Author- Sudhakar Malviya आचार्य शंकर भगवत्पाद ने सौंदर्यलहरी की रचना कर भगवती के व्याज से श्रीविद्या की उपासना एवं महिमा , विधि, मन्त्र , श्रीचक्र एवं षट्चक्रों से उनका सम्बन्ध...