K P Krishnamurthi Paddhati Nakshatra Phalit Jyotish कृष्णमूर्ति पद्धति नक्षत्र फलित ज्योतिष १. शारीरिक विशेषताए (शरीर पर चिन्ह, व्रण चिन्ह या तिल, दीर्घ आयु, छोटा, मध्यम एवं लम्बा जीवन , ...
लाल किताब (व्याकरण और व्याख्या ) By Umesh Sharma
प्रस्तुत पुस्तक में लाल किताब पद्धति से कुण्डली की व्याख्या करने के लिए उसके सिद्धान्तों को जो उसके व्याकरण विभाग में दिये हुए है जानना अति आवश्यक है, क्योकि लाल-किताब पद्धति की अपनी एक अलग व्याकरण है जो परम्परागत ज्योतिष से कुछ हट कर है I अत: प्रस्तुत पुस्तक में लाल -किताब के व्याकरण खण्ड को लेकर उसको सर भाषा में प्रस्तुत करने की एक छोटा सा प्रयत्न है ताकि जनसाधारण भी इसको अच्छी तरह जान कर इसको अपने उपयोग में लाकर अपने जीवन में अपने को समर्थ बना सके I
व्याकरण परिचय
ग्रहो के पक्के घर
एक ग्रह का दूसरे ग्रह से सम्बन्ध
ग्रह राशि का आपसी सम्बन्ध
सोया भाव और सोया ग्रह
आयु के कौन से वर्ष में किस राशि न. व् भाव न. के ग्रह प्रभावी होंगे इत्यादि I
जातकालंकार Author- SC Mishra (Suresh Chandra Mishra) जातकालंकार वास्तव में ही जातक शाखा का अलंकार भुत ग्रन्थ है l प्राचीन शुकसुत्रो का अर्थपल्ल्वन श्लोकबद्ध रीति से करके गणेश कवी ने...
वैदिक ज्योतिषशास्त्र के शोधित सटीक उपाय इस पुस्तक में लेखक द्वारा व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह नक्षत्रो, जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहो की स्थिति आदि की जानकारी के साथ...
इल्मे सामुद्रिक की लाल किताब Author- Mohammad Hanif Khan लाल किताब पाँच भागो में क्रमश: 1939,1940, 1941, 1942, और 1952 में प्रकाशित हुई थी l 1952 में प्रकाशित पुस्तक इल्मे...
विवाह का समय Author- Bpesvs
पुस्तक का वर्ण विषय ही विवाह का समय निर्धारण है I अत: इसमें विवाह का समय निकट है अथवा नहीं, विवाह कब होगा आदि का निर्धारण
करने के लिए विभिन्न ग्रहस्थितियो पर चर्चा की गई है I विभिन्न दोषो पर प्रकाश डाला गया है I साथ ही कुछ ऐसी बातो पर प्रकाश डाला गया है
जिनके विषय में सामान्य जन सोच भी नहीं सकते की इस बात का विवाह से कोई सम्बन्ध हो भी सकता है ? उदाहरण के लिये दशम भाव का
अध्ययन जातक के कार्य तथा व्यवसाय आदि के विषय में अध्ययन के लिये तथा पिता के लिये किया जाता है i सप्तमांश का प्रयोग मूलतः
संतान के विषय में अध्ययन करने के लिये किया जाता है I प्रस्तुत शोध कार्य में इस विषय में भी प्रकाश डाला गया है कि विवाह के विषय में
दशम भाव और सप्तमांश का क्या महत्व है I विशोत्तरी दशा तथा गोचर की विवाह के समय निर्धारण में क्या उपयोगिता है, इस बात पर भी
प्रकाश डाला गया है I ज्योतिष और वैवाहिक जीवन का परस्पर सम्बन्ध बताया गया है I अंत में विवाह से सम्बंधित कुछ सफल फलादेशों के
उदाहरण प्रस्तुत किये गए है I जिससे पाठको को इस नियमो को समझने तथा इनका प्रयोग करने में सरलता हो I इस प्रकार विवाह के समय
निर्धारण के विषय में यह शोधकार्य पाठको को उचित मार्ग दर्शन करने में निशिचत रूप से सक्षम है, ऐसी हमारी मान्यता है I हिंदी प्रेमियो की
भी मांग बार-बार हमारे पास आ रही थी I अत: प्रस्तुत संकलन का हिंदी अनुवाद पाठको के अवलोकनार्थ और समीक्षार्थ प्रस्तुत है कोई भी
परामर्श पाठक भेजे तो उसका स्वागत होगा I
Jyotishiya Upaya - Sagarलेखक: राज कुमार (लेफ्टिनेंट कर्नल)प्रकाशक: सागर पब्लिकेशन यह पुस्तक ज्योतिषीय उपायों पर केंद्रित है, जिसमें विभिन्न ग्रहों और उनकी दशाओं के प्रभाव को संतुलित करने के लिए...
द्वादश भाव एवं नवग्रह Author- MN Kedar (Mahendra Nath Kedar) ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न सूत्रों के रहस्य को सरलता से समझने तथा फलित में उनके प्रयोग की अनुपम विधि प्रस्तुत...
पंच सिद्धान्त Author- Krishna Kumar १. ग्रहशील (ग्रहो का स्वरूप व् स्वभाव) २. ग्रह कारकत्व विचार (ग्रह अवयव रोग, लौकिक सम्बन्ध, व्यवसाय आदि ) ३. नक्षत्र सिद्धान्त (ग्रहो पर नक्षत्रो...