गुरुजी की काफी दिनों से इच्छा रही ज्योतिष पर पुस्तक लिखने की जो २००८ में कालपात्र नाम से पूर्ण हुआ | उनका कहना था कि ज्योतिष का सम्बन्ध जितना देश काल पात्र से है उतना ही योग और तंत्र साधना से भी है। गुरुजी का ज्योतिष शास्त्र पर पुस्तक लिखने का उद्देश्य था कि जन सामान्य व प्रबुध्द पाठकगण ज्योतिष शास्त्र से सम्बन्धित विषयों का ज्ञान हो तथा अपने जीवन में उसका सद्पयोग करें | गुरुजी ने योग-तंत्र के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र पर भी गहन शोध किया और सामान्य भाषा में प्रस्तुत करने का भरसक प्रयास भी किया। उनका कहना था कि वेदों के समान भारतीय ज्योतिष शास्त्र की प्राचीनता है और है महत्व । अथरव॑वेद के ६५ ऋचाओं में ज्योतिष सम्बंधित ज्ञान वर्णित है देखा जाए तो सम्पूर्ण ज्योतिष शाश्त्र सूर्या, चंद्र , और नक्षत्रों के सूक्ष्म अवलोकन पर ही आधारित है
भारतीय प्रज्ञा ने सर्वप्रथम नक्षत्रों तथा उनके संचरण और उनके ऊर्जा के प्रभाव को अपने शोध और खोज का आधार माना |
... भारतीय प्रज्ञा के मतानुसार ज्योतिष शास्त्र खगोलीय ज्ञान का महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना ग्रहों की वास्तविकता और उससे सम्बन्धित गहन सत्य को प्रगट नहीं किया जा सकता है
प्रस्तुत पुस्तक आकाशचारिणी जो मेरे जीवन का अनुभवपूर्ण व सत्य घटनाओं पर आधारित कथा संग्रह है। प्रस्तुत कथा संग्रह में आप जो कुछ भी पढ़ेंगे, निश्चय ही कुछ प्रसंगों और...
पुस्तक का नाम 'मारणपात्र' क्यों ? यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है | वास्तव में तंत्र की भाषा में मनुष्य की खोपड़ी को 'महापात्र' कहते हैं | तन्त्र के षट्कर्म साधन...
परलोक का मुख्य माध्यम मृत्यु है। जब तक मृत्यु नहीं हो जाती तब तक परलोक के दर्शन नहीं हो सकते; किन्तु वेद, तन्त्र भली-भाँति यह उद्घोष करते हैं कि विना...
Shri Tripur Bhairvi Tantram [Hindi] By Yogeshwaranand Publisher: Astha Prakashan श्री त्रिपुर भैरवी तंत्रम [हिंदी] - योगेश्वरानंद द्वारा लिखित, आस्था प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक। इस पुस्तक में त्रिपुर भैरवी तंत्र के गहरे...