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मेरा सौभाग्य है कि पिताश्री की पुस्तकों में दो शब्द लिखने का अवसर मुझे प्राप्त होता है। सबसे सुखद और हर्ष की बात तो यह है कि पिताश्री ने अपनी समस्त पुस्तकों एवं पाण्डुलिपियों के प्रकाशन का उत्तरदायित्व मुझे दे दिया है। इस कार्य में, मैं कितना सफल होऊँगा, इसका निर्णय आप पाठकगण ही करेंगे। मेरा तो सतत प्रयास यही रहेगा कि उनकी कृतियों को सुन्दर और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करता रहूँ।
पिताश्री की अपने शोध अन्वेषण की दिशा में कईं विशेषताएं रही हैं । जिनमें सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि सत्संग अवस्था में प्रच्छन्न और अप्रच्छन्न रूप से निवास करने वाले योगसिद्ध सन्त, महात्माओं और उच्चकोटि के गुप्त साधकों द्वारा जो आध्यात्मिक ज्ञान उपलब्ध हुआ उसे उन्होंने पूर्णरूप से आत्मसात किया और इतना ही नहीं, उस गोपनीय ज्ञान को क्रिया के रूप में परिवर्तित कर उससे उपलब्ध अनुभवों को हृदयंगम भी किया और समय-समय पर लिपिबद्ध भी किया। योग तांत्रिक साधना प्रसंग उन्हीं अनुभवों का एक महत्वपूर्ण परिणाम है इसमें सन्देह नहीं। इसी श्रृंखला में पूर्व में प्रकाशित पुस्तक 'आवाहन” की तरह ये पुस्तक भी पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक उपादेय और साधना मार्ग में दिशा निर्देश सिद्ध होगी इसमें सन्देह नहीं।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि पाठकों की उत्साहवर्धक प्रेरणा सदैव प्राप्त होती रहेगी और मैं उस प्रेरणा से सफलतापूर्वक अग्रसर होता रहूँगा अपने मार्ग पर।
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |