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जन्म-जन्मान्तर पुस्तक अपने आप में महत्वपूर्ण है और है मार्मिक प्रसंग जो एक बार स्वयं पर सोचने को विवश करता है। जगत के अनन्त प्रवाह में एक ऐसी युवती की कथा है जो जगत में बार-बार जन्म लेती है अपने अधूरे वचन को पूर्ण करने के लिए। उसका जब भी जन्म होता है वह हर बार छली जाती है। कभी समाज के रूढ़िवादी बन्धन से, कभी परिस्थितिवश, कभी अपने द्वारा।
बौद्धकाल से लेकर २५वीं सदी तक उसका जन्म सात बार होता है। क्या वह २१वीं सदी में अपने वचन को पूर्ण कर पाती है या फिर काल के प्रवाह में विलीन हो जाती है? परिस्थितिजन्य दो प्रेमी अनजाने में जन्म-जन्मान्तर तक साथ निभाने का वचन देते हैं। अपने वचन को पूर्ण करने के लिए उन्हे संसार में बार-बार जन्म लेना पड़ता है और हर जन्म में उन्हे असीम कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसे सात जन्मों की कथा है। जिसे लेखक ने बहुत ही मार्मिक रूप से लिखने का प्रयास किया। सात जन्म, सात कथाओं का संकलन है।
जन्म-जन्मान्तर, भुवन मोहिनी, अपराजिता, मणिपद्मा, विविधा और दीपशिखा और सातवां जन्म नम वर्तमान से है यानि सोनालिका से॥सारी कथाएं अपने आप में रहस्यमई और मार्मिक हैं और साथ ही भारत के बदलते समय को भी दर्शाया गया है बौद्ध काल से आधुनिक युग तक की नारी की संघर्ष कथा। समाज, जाति बन्धन, रूढ़िवादी परम्परा से बाहर निकलने की छटपटाहट को लेखक ने कथा के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया। सारी कथाएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं। अपनी व्यथा स्वयं बतला रही हैं।
जन्म जन्मांतर में नारी के अन्तरमन और अर्न्तद्वन्द का सजीव वर्णन है। वह एक रूप और एक शरीर में होते हुए हर पल अपने को बंटी हुई पाती है और उसे हर रूप और हर चरित्र को निभाना पड़ता है। कभी वह सफल होती है और कभी असफल भी |
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |