कुण्डलिनी-शक्ति उस आदिशक्ति का व्यष्टि रूप है, जो समष्टि रूप में सम्पूर्ण विश्व-ब्रह्माण्ड में चैतन्य और क्रियाशील है । जहाँ तक कुण्डलिनी-शक्ति की प्रसुप्तावस्था की बात है, तो उसके सम्बन्ध...
आवाहन
भारत में प्राचीनकाल से ही देवी - देवताओ और सिद्ध, महापुरुषों की छवि के साथ- साथ चक्राकार प्रभामंडल प्रदर्शित किया जाता रहा है I इनके चित्रों को और उसमे प्रभामंडल को देखकर सामान्यत: लोग यही समझते है कि यह उनकी शोभा के लिए और काल्पनिक रूप से महत्ता बताने के लिए दिया गया है I यह भी कहा जाता है कि सन्त- महात्माओ और सिद्ध योगियों के पास जाते ही वे एक ही नजर में लोगों को पहचान लेते है तथा बाधा व्याधियों के बारे में सही - सही जानकारी देते है I सिद्ध पुरुषो के ऐसे चमत्कारी प्रभाव से विद्वान और वैज्ञानिक अछूते नहीं रहे है I साधु- संतो के द्वारा प्रदर्शित ऐसी चमत्कारी घटनाओ को कुछ लोग धार्मिक
प्रस्तुत कथा संग्रह में आप जो कुछ भी पढ़ेंगे, निश्चय ही कुछ प्रसंगों और कुछ घटनाओं पर आपको सहसा विश्वास नहीं होगा। यह स्वाभाविक भी है। मनुष्य उसी विषय वस्तु...
अभौतिक सत्ता में प्रवेश अभौतिक सत्ता में केवल भाव है, भावना है, अनुभूतियाँ है - जिनको प्रमाणित नहीं किया जा सकता I उसी प्रकार जैसे आप सपने में घटी घटनाओ...
तन्त्रम 'तंत्र ' एक विशाल और व्यापक शब्द है और उसी प्रकार उसका अर्थ भी है असीम व्यापक और विशाल I सम्पूर्ण विश्व में जितने भी धर्म है, जितने भी सम्प्रदाय है और जितनी भी...
परलोक का मुख्य माध्यम मृत्यु है। जब तक मृत्यु नहीं हो जाती तब तक परलोक के दर्शन नहीं हो सकते; किन्तु वेद, तन्त्र भली-भाँति यह उद्घोष करते हैं कि विना...
पं० अरुणकुमार शर्मा योग, तंत्र और भूत-प्रेत आदि परा मनोवैज्ञानिक विषयों के निष्णात् विद्वान तो हैं ही इसके अतिरिक्त उन्होंने तंत्रशास्त्र के गूढ़ अंगों पर गम्भीरतापूर्वक स्वतंत्र रूप से शोध...
‘वक्रेश्वरी की भैरवी’ योग-तन्त्र-परक कथाओं का संग्रह है। यद्यपि ये अविश्वसनीय और असम्भव-सी लगेगी किन्तु स्वाभाविक भी है। आज के वैज्ञानिक युग में इन पर विश्वास करना मुश्किल है—इन्द्रियों की सीमा से परे घटित घटनाओं पर। इस भौतिक जगत में दो सत्ताएँ हैं—आत्मपरक सत्ता और वस्तुपरक सत्ता।वस्तुपरक सत्ता के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं को तो प्रामाणित किया जा सकता है, लेकिन आत्मपरक सत्ता को नहीं। इसलिए कि आत्मपरक सत्ता की सीमा के अन्तर्गत जो कुछ भी है, उनका अनुभव किया जा सकता है, और उसकी अनुभूति की जा सकती है।