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पं० अरुणकुमार शर्मा योग, तंत्र और भूत-प्रेत आदि परा मनोवैज्ञानिक विषयों के निष्णात् विद्वान तो हैं ही इसके अतिरिक्त उन्होंने तंत्रशास्त्र के गूढ़ अंगों पर गम्भीरतापूर्वक स्वतंत्र रूप से शोध एवं अन्वेषण कार्य भी किया है। शोध एवं अन्वेषण काल में उनके जीवन में अनेक अविश्वसनीय, लौकिक और पारलौकिक घटनाएं भी घटी हैं, जिन्हें अपनी विशिष्ट कथा शैली में प्रस्तुत करते हुए उनके माध्यम से योग , तंत्र और भूत-प्रेत आदि के रहस्यमय गोपनीय पक्षों को विशेष रूप से उद्घाटित करने का का प्रयास किया है। 'वह रहस्यमय कापालिक मठ उसी प्रयास का एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
इस समय व्यापक अश्रद्धा का युग है। सत्य क्या है, असत्य क्या ओर वास्तविकता क्या है ? इसका समाधान और इसका निर्णय करने को क्षमता और योग्यता किसी धार्मिक समुदाय तथा किसी धार्मिक सम्प्रदाय में नहीं है इस समय और एकमात्र यही कारण है कि सभी प्रकार की साधना, उपासना आदि के प्रति घोर भ्रामक धारणा फैली हुई है सभी वर्ग के लोगों में ।
ऐसे वातावरण और ऐसी परिस्थिति में प्रस्तुत कथा संग्रह के अन्तर्गत कुछ ऐसे योग-तांत्रिक साधना प्रसंग हैं, जिन पर पाठकों के मन में सहज और स्वाभाविक रूप से अविश्वास , भ्रम एवं सन्देह उत्पन्न हो सकता है। अत: उनके निराकरण हेतु संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि कथाओं में प्रसंगवश आयी हुई साधना सम्बन्धी सभी योग तांत्रिक चर्चाएँ पूर्ण रूप से योगशास्त्र और तंत्रशास्त्र द्वारा प्रमाणित हैं, इसमें संदेह नहीं | जहाँ जहाँ प्रसंगवश जो तांत्रिक विवरण दिए गये हैं उनके विषय में रुद्रयामल तंत्र, प्राण तोषिणि तंत्र, कुलार्णव तंत्र, शक्तिसंगम तंत्र, मेरुतंत्र, देवियामल तंत्र,
, कुलमृत दीपिका कालिका पुराण, नाथ सम्प्रदाय आदि महत्वपूर्ण तंत्र ग्रन्थों में अध्ध्य्यन किया जा सकता है | कथा संग्रह में कोई ऐसा विषय विवरण अथवा प्रसंग नहीं है जिनकी मूलभीति शाश्त्र विरुद्ध हो | आशा है प्रस्तुत कथा संग्रह पाठकों के लिए मनोरंजन के अतिरिक्त ज्ञानवर्धन और उपयोगी भी सिद्ध होगा, ऐसा विश्वास है।