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अतिप्राचीन मान्यतानुसार भगवान शिव द्वारा उपदिष्ट एवं कालान्तर में गोरक्षनाथ द्वारा प्रवर्तित शाबरमन्त्र भाषा एवं व्याकरण की दृष्टि से सर्वथा अशुद्ध होते हुये भी आर्यावर्त के ग्राम्यांचलों एवं वनांचलों सहित अधिकांश भूभाग को अतिक्रान्त कर प्रखर रूप से वर्त्तमान हैं। वर्त्तमान वैज्ञानिक युग में भी विशेषकर ग्राम्य एवं वनांचलों में नकेवल आधिदेविक बाधाओं से मुक्ति-हेतु; अपितु आधिभौतिक बाधाओं के शमन के साथ-साथ विविध प्रकार के रोगों के निदान रूप में भी इनका प्रयोग किया जाता है एवं आश्चर्यजनक रूप से ये मन्त्र प्रभावकारी सिद्ध होते हें।
इसी उपयोगिता को ध्यान में रखकर विभिन्न सम्प्रदायगत शाबरमन्त्रों को यथा सम्भव संगृहीत कर पुस्तक के आकार में प्रकाशित कर लोगों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया हे तथा इस क्रम में शाबरमन्त्रसागर का प्रथम भाग प्रकाशित हो चुका है। उसी क्रम में इस द्वितीय भाग में मुख्य रूप से इस्लाम धर्म से सम्बन्ध शाबरमन्त्रों को संगृहीत कर पुस्तक का स्वरूप प्रदान किया गया है। मतः इस्लाम जगत में आज भी ये मन्त्र बहुतायत में प्रचलित एवं प्रभावकारी माने जाते हैं; अतः इनके संकलन के बिना ग्रन्थ की पूर्णता निर्बाध नहीं होता। इस द्वितीय भाग में इस्लामिक शाबर मन्त्रों के साथ-साथ उस सम्प्रदाय में प्रचलित विविध टोनों-टोटकों को भी संगृहीत किया गया है, जिनका उपयोग आज भी विविध रोगों एवं शारीरिक समस्याओं के निदानार्थ किया जाता हे। इसके अतिरिक्त सिक््ख, नाथ आदि अन् धर्मों से सम्बद्ध मन्त्र भी यहाँ संगृहीत हैं। स्पष्ट है कि यह पुस्तक शाबर मन्त्र-साधकों के लिये अतिशय उपयोगी सिद्ध होगी।