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सामुद्रिक ज्ञान और पंचागुली साधना
किसी भी व्यक्ति के रूप, रंग, मुख, नासिका, ललाट, शरीर पर जन्म से अंकित चिन्हों के द्वारा उसके भविष्य के बारे में बताया जा सकता है I हाथ की रेखाओ के साथ मनुष्य के शरीर के आकार -प्रकार भी ध्यान दे तभी एक सामुद्रिकशास्त्री बना जा सकता है I
पाँचों उँगलियाँ, हथेली, मणिबंध एवं शरीर लक्षण देखने के बाद ही भविष्य कथन करना उचित होगा I इसी तथ्य को विकसित रूप में बताया जा रहा है कि सामुद्रिक ज्ञान एक ऐसी मूक भाषा है जो प्रत्येक मनुष्य के शरीर पर लिखी होती है लेकिन इस शास्त्र के ज्ञाता ही इसे पढ़ सकते है I आप भी इस विषय का ज्ञानार्जन करे I