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Sampuran Swasthya (Volume 1) [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
सम्पूर्ण स्वास्थ्य भाग -१
आर्युविज्ञान यानी एलोपैथी का संबंध मानव तन- मन को निरोग रखने तथा आयु बढाने से है I अन्वेषण -कर्ताओ ने निरंतर नवीन आविष्कार करके इस विज्ञानं को बहुत उन्नत किया, जिसके फलस्वरूप जीवनकाल आशातीत बढ़ गया है I
इस गहन फल का अध्ययन ये हुआ है कि आर्युविज्ञान अनेक शाखाओ में विभक्त हो गया और प्रत्येक शाखा में इतनी खोजे हुई है, नविन उपकरण बने है तथा प्रायोगिक विधियॉ ज्ञात की गई है कि कोई भी विधार्थी या विशेषज्ञ उन सबसे पूर्णतः परिचित नहीं हो सकता I दिन- प्रतिदिन चिकित्सक को प्रयोगशालाओं तथा यंत्रो पर निर्भर रहना पड़ रहा है और यह निर्भरता उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है I
आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं का ध्येय है कि प्रत्येक मनुष्य की शारीरिक वृद्धि एवं विकास अधिक पूर्ण हो, जीवन और भी ज्यादा तेजपूर्ण हो, शारीरिक ह्रास अधिक धीमा हो और मृत्यु ज्यादा देर से हो I वास्तव में स्वाथ्य का अर्थ केवल रोगरहित और दुःखरहित जीवन नहीं है I यह तो पूर्ण शारीरिक, मानसिक, समाजिक यानी भावनात्मक और आत्मिक रूप से हष्ट - पुष्ट होने की दशा है I अधिकतम सुखमय जीवन का अवसर पूर्ण स्वस्थता से ही संभव है I
हम अपने प्रयास से और भी अधिक स्वस्थ्य हो सकते है I व्यक्ति के स्वास्थ्य सुधार से समाज और राष्ट्र का, अंततः विश्व का स्वास्थ्य स्तर ऊँचा होता है I अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्योपार्जन का भार प्रत्येक प्राणी पर ही है I
स्वास्थ्य - उन्नति में केवल सरकार और चिकित्सक ही जिम्मेदार नहीं , प्रत्येक नागरिक का भी महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है I इसी लक्ष्य पर आधारित 'स्वाथ्य प्रज्ञा ' नामक कार्यक्रम ओशोधारा में चलता है I तत्संबधी हिन्दी साहित्य की आवश्यकता को महसूस करते हुए, पुस्तक रूपी यह पुष्प लोक- मानस को अर्पित है I
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