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Parlok ke Khulte Rahasya [Hindi]

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DESCRIPTION

यह जगत स्वयं अपने आप में प्राकृतिक घटना है और हमारा जीवन उस घटना का विस्तार है। उस विस्तार में कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटती हैं जो अपने आप में अविश्वसनीय और चमत्कारपूर्ण लगती हैं। जिन पर सहसा विश्वास नहीं

होता लेकिन प्राकृतिक नियम के विरूद्ध जगत में कुछ भी असामान्य नहीं होता। जो भी घटनायें अथवा चमत्कार देखने को मिलते हैं वह प्रकृति के नियम के अन्तर्गत होते हैं।

हमारे शरीर और ज्ञानेन्द्रियों की अपनी एक सीमा है और उन सीमाओं के बाहर कोई कार्य होता है तो हम सहज रूप से उस पर विश्वास नहीं कर पाते। जिसे हम रहस्य वा अन्धविश्वास कहकर टाल देते हैं। लेकिन फिर भी हमारी आत्मा के किसी कोने से आवाज बराबर उठती रहती है और कहती रहती है कहीं न कहीं सत्य है। उसे पूर्णरूप से नकार नहीं सकते।

 

गुरुजी के प्रारम्भिक जीवन से अबतक जो घटनाएं घटी, जो विश्वास से परे अनुभव हुए, जो विलक्षण अनुभूतियां हुई, उन सबको गृरुजी ने सहज भाव से स्वीकार किया और किया आत्मसात। पिछले कई वर्षों से कितनी कथाएं और लेख

आदि लिखे उन्हे गिना नहीं जा सकता है। यहां यह कहना असंगत न होगा कि गुरुजी का सारा जीवन रहस्यमय रहा। यहां तक कि वे स्वयं अपने आप में एक रहस्य थे। उनका सहज मिलनसार व्यक्तित्व, निश्वल और अपनत्व भरा व्यवहार

और साथ ही सादा जीवन देखकर कभी ऐसा नहीं लगा कि लम्बे आध्यात्मिक तेज से भरपूर गौरवर्णीय वृद्ध शरीर की आत्मा ने उस परम रहस्य की खोज में कितना कष्ट झेला और कितना दुख-दर्द उठाया होगा।

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