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Manusmriti (Bhartiya Dharamshastron ka Sarvopari Granth) [Hindi] By
Publisher: Randhir Prakashan
मनुस्मृति को धर्मशास्त्र भी कहा जाता है। धर्म शब्द का अर्थ केवल पूजा-पाठ करना और मन्दिर में जाना ही नहीं है । धर्म शब्द से उन सब बातों का बोध होता है जो इस जीवन में मनुष्य के लिए आवश्यक है । हमारी जीवन शैली और सामाजिक पद्धति श्रेष्ठ कैसे बने इसके लिए जो सामाजिक नियम बनाए जाते हैं वे भी धर्म के अन्तर्गत आते हैं।
वेद विहित मनुष्य की जीवन पद्धति और आचार संहिता का प्रतिपादन करने के लिए समय-समय पर / अनेकों स्मृतियों की रचना हुई जिनमें मनुस्मृति सर्वाधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि इसमें व्यक्ति व समाज का समग्र रूप से विवेचन है ।एक अच्छे सामाजिक मनुष्य को क्या करना चाहिए ? क्या नहीं करना चाहिए ? जैसे प्रश्नों की व्याख्या इसमें की गई है।
हमारा भारतीय समाज उत्तरोत्तर किस प्रकार प्रगति को प्राप्त हुआ, वह सामाजिक और धार्मिक नियम क्या थे जो हमें उच्चतम जीवन जीने की कला प्रदान करते रहे। यह सब कुछ आप धर्मशास्त्र मनुस्मृति को पढ़कर जान सकेंगे।
इसमें जिन नियमों का उल्लेख है वे मानव को सभ्य, सुसंस्कृत व उत्तरोत्तर विकास की ओर ले जाने में आज भी धर ही सक्षम हैं । राजा-प्रजा के कर्म और अधिकारों की व्याख्या एवं समाज में प्रत्येक नर-नारी के लिए आचरणीय नियमों का वर्णन मनुस्मृति में है। आप इस ग्रन्थ का अध्ययन कर जान सकेंगे कि हजारों वर्ष पूर्व की . गई हिन्दू समाज की संरचना आज भी लगभग इन्हीं नियमों . पर आधारित है।
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