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आज के भौतिक परिप्रेक्ष्य में अगर सबसे अधिक महती आवश्यकता है तो वह है धन ।
वह धन जो मनुष्य को अपने पिछले जन्म में किए गए पुण्य कर्मों के आधार पर इस जन्म में उसकी जन्मकुंडली में घटित होता हुआ लक्ष्मी योग के रूप में मिलता है।
वह धन जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करता हुआ उसको समाज में एक ऐसा दर्जा देता है जिसके दम पर व्यक्ति मान-सम्मान-प्रतिष्ठा और जीवन में मिलने वाले सुखों का उपभोग करता है। वह लक्ष्मी जो देवताओं के लिए भी अपनी नौ कलाओं के रूप में धन-धान्य से परिपूर्ण
होकर सर्वत्र विद्यमान रहती है। !
वह लक्ष्मी जो प्राप्य नहीं है तो अप्राप्य भी नहीं है | लेकिन लक्ष्मी को पाने के लिए हमे अपने कर्मों की खेती करनी होगी और यह पता चलेगा हमें अपनी कुंडली को देखकर कि धन किस दिशा से आएगा, कौन-से योगों से आएगा | अगर इन योगों का पता हमें समय से पहले चल जाए तो जीवन हमारे लिए सरल हो जाएगा और हम जीवन के सारे ऐशो-आराम से युक्त होकर समाज में भौतिक उपलब्धियां प्राप्त कर सकेंगे।
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |