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ज्योतिष योग दर्पण
ज्योतिष शास्त्र व्यक्ति के भूतकाल, वर्तमान व् भविष्य जानने की विधि है I ज्योतिष शास्त्र का मूल आधार नवग्रह और बारह राशियों तथा कुंडली के बारह भाव होते है I बालक के जन्म के समय भचक्र में गोचर करते नवग्रहों के आधार पर बच्चे की जन्मकुंडली बन जाती है, जिससे बालक की आयु, शिक्षा, विवाह, संतान, कर्म, व्यवसाय, आर्थिक स्थिति तथा भाग्य इत्यादि का पता चलता है I
जन्म कुंडली में नवग्रहों की विभिन्न भावो में स्थिति, युति व् दृष्टि से योग बनते है I इन योगो से ही बालक को जीवन में शुभ या अशुभ फल योगो में शामिल ग्रहो की दशा / अन्तर्दशा में प्राप्त होते है I विभिन्न योगो का फल जानने से पहले नवग्रहों, बारह रशिया व् उनके स्वामी तथा कुण्डली के १२ भावो के विषय में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है I
ज्योतिष में नवग्रह होते है , जिनका प्रभाव मानव जीवन पर बहुत अधिक होता है, क्योंकि प्रत्येक जीवन में जो भी उन्नति या अवनति करता है, उसमे सभी ग्रहो का योगदान होता है I नवग्रहों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु , शुक्र व् शनि सात ग्रहो का भौतिक अस्तित्व है I ये सातो पिंडीय ग्रह है I अन्य दो ग्रह राहु व् केतु केवल गणितीय विन्दु है, इसलिए राहु व् केतु को छाया ग्रह कहा जाता है I