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Jeevit Mariye Bhavjal Tariye [Hindi]

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  • Barcode: 9789352090181
DESCRIPTION

Jeevit Mariye Bhavjal Tariye [Hindi] by

Osho Shailendra

Publisher: Oshodhara

जीवित मरिए भवजल तरीऐ 

'जीवित मरिए, भव जल तरीऐ, गुरुमुख नाम समावे l '

मानवता का ऐसा दुर्भाग्य आ जाए कि सारे ग्रन्थ, सारी किताबे, सारे पुराण, कुरान, बाइबिल, वेद, उपनिषद सब लुप्त हो जाए मगर गुरु रामदास जी क़ी यह पंक्ति अगर बच जाए, जो वेदों को फिर से जिन्दा किया जा सकता है l फिर से उपनिषदों क़ी रचना क़ी जा सकती है l जिसने भी गुरु रामदास जी क़ी इस पंक्ति को समझा' जीवित मरिए भउजल तरीऐ' उसके लिए समझने को कुछ बाकी नहीं रहता l जिसने भी गुरु रामदास जी क़ी इस पंक्ति को नहीं समझा, उसने अध्यात्म को नहीं समझा l एक-एक बात समझने जैसी है, अनुभव करने क़ी है l

कवीर साहब ने एक बड़ी अदभुत बात कही है -' हमारा घर कहा नहीं है, हम किसी और देश से आए है l '

'चल हंसा वा देश, जंहा तोरे पिया बसे l '

चलो जंहा हमारा प्रियतम रहता है l कहो और कहते है -

हम वासी उस देश का, जहां पार ब्रह्म का खेल l

दीपक बरेअगम का,बिन बाती बिन तेल ll

संसार में हम रहते है और हमारा देश परमात्मा का देश है जहां से हम आए है I वह प्रियतम का देश है I वहां जाने के लिए बिच में अंतर्जगत आता है I शरीर के भीतर मन है, मन में विचार, तृष्णाए, कामनाए, काम , क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या,द्वेष है I बड़े-बड़े मगरमच्छ इस भवजल में रहते है I वह हमारा मेनलैंड है जहा परमात्मा विधमान है I  वहां हमें जाना होता है I   


Jeevit Mariye Bhavjal Tariye

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