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Dhyan aur Samadhi [Hindi] by
Publisher: Oshodhara
ध्यान और समाधि
विवेकपूर्ण व्यक्ति हर स्थिति में से सत्यं-शिवं- सुंदरं की ओर अग्रसर होने का मार्ग खोज ही लेता है i ऐसी प्रज्ञा, ऐसी समझ ही वास्तविक सौंदर्य है i चेतना में ऐसी सुंदरता हो तो देह की कुरूपता भी फीकी पड़ जाती है i लेकिन केवल त्वचा की सुंदरता, आत्मा की कुरूपता को नहीं ढांक पाती i प्रायः शारीरिक रूप से खूबसूरत व्यक्तियों में बड़ा बदसूरत घमंड होता है i वह देहाभिमान उनके जीवन को, एवं उनके आसपास रहने वालो के जीवन को विषाक्त कर देता है I सद्बुद्धि के आभाव में अमृत भी जहर बन जाता है I और सद्बुद्धि के प्रभाव में जहर भी अमृत बन जाता है I
कैसे वह आंतरिक सौंदर्य, विवेक -बुद्धि, चैतन्यता जागे? कैसे कोई व्यक्ति विषैली जिंदगी को अमृतमय करें ? ध्यान में डूबकर क्रमश: समाधि की ओर गति करने से ऐसा चमत्कार संभव है I ओशो शैलेन्द्र जी के इस प्रवचन को पढ़कर, मनन कर, पाठक के ह्रदय में भी प्रेरणा उतपन्न होगी कि वे इस राह पर चले, ध्यान के प्रयोगों में उतरे I इसी आशा के संग आपके हाथो में दे रहे है, आध्यात्मिक संपदा की कुंजी - यह अनूठी पुस्तक I
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