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बृहत् अंक संहिता भाग -1
बृहत् अंक संहिता को ९ अध्यायों में विभाजित किया गया है l
पहला अध्याय अंक ज्योतिष के पृष्टभूमि को समझने के लिए समर्पित है जिसमे इसके उद्भव, इसकी उतपत्ति के पीछे का दर्शन, इसके लक्षण तथा विशेषताए एवं अंको के महत्व के साथ ही अंक ज्योतिष की विभिन्न पद्धतियों तथा इसके विकास में उनके योगदान की चर्चा की गई है l
दूसरे अध्याय में अंको के विशिष्ट लक्षणों - उनकी सकारात्मक एवं नकारात्मक विशेषताओं, उनका मानव जीवन पर प्रभाव, मानव व्यवहार को अकार देने में उनके योगदान, चरित्र एवं व्यक्तित्व आदि की व्याख्या की गई है l
तीसरा अध्याय प्रमुख रूप से मास्टर, यौगिक एवं कार्मिक अंको - उनके विशिष्ट लक्षण, मानव जीवन पर उनके असमान्य प्रभाव जब ये अंक किसी प्रमुख अंक जैसे योग्यतांअंक आदि की विस्तृत व्याख्या की गई है l
पुस्तक के अंतिम अध्याय में यह बताया गया है कि अंक कुण्डली कैसे बनाए जिसमे कि एक ही पृष्ट पर सभी अंक मौजूद हो तथा उसे देखकर कैसे भुत, वर्तमान एवं भविष्य का विश्लेषण एवं फलकथन किया जाए l हर क्षेत्र से सम्बन्धित बहुत सारे उदाहरण दिए गए है जिससे कि पाठक अंक कुण्डली के विश्लेषण की कला एवं कैसे उनका फलकथन किया जाए आदि बातो को सहज तरिके से सिख पाए l