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बृहदवास्तुमाला
ज्योतिष शास्त्र का अन्यतम अंग वास्तुविधा है ; इसका ज्ञान बृहत्संहिता, मुहूर्तचिन्तामणि, मुहूर्त्तमार्तण्ड, रत्नमाला, गृहभूषण, वास्तुमाला, वास्तुप्रबन्ध आदि ग्रंथो में विक्रीण है ; इस दृष्टि से 'बृहदवास्तुमाला' में उन समस्त विषयो का सन्निवेश कर दिया गया है l
किस स्थान पर गृह बनाना चाहिए अर्थार्त भूमिशोधन की सभी बाते - मकान के किस भाग में कितने दूर पर जलाशय आदि को रहना चाहिए, गजपृष्ठ, कर्मपृष्ठ आदि का लक्षण, पिण्ड - निर्माण, ऋषियों के मत से दकागर्ल, वृक्षआयुर्वेदाध्याय, मण्डलेश, सिद्धपिंड और पिण्डसारिणी, शिलान्यास आदि का मुहूर्त, चरणी विचार, अनेक प्रकार के चक्र, देवमंदिर - निर्माण का विचार - सभी बाते 'बृहदवास्तुमाला ' में सप्रमाण दी गई है और सर्वसधारण इस विषय को समझ सके, इसलिए सरल हिन्दी भाषा में समस्त श्लोको का अनुवाद उदाहरण सहित लिखा गया है l पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाने हेतु परिशिष्ट में पिंडानायन की उपात्तिया भी दी गई है I
0.5kg | ₹40 |
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