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ऋषि मन्त्रेश्वर विरचित 'फलदीपिका ' एक अनमोल वैदिक ज्योतिषीय ग्रन्थ है,
जिसमें लयबद्ध संस्कृत में लिखित 28 अध्याय हैं। इस ग्रन्थ का ज्योतिषीय शास्त्रों में बहुत उच्च स्थान है । फलदीपिका में सभी ज्योतिषीय पहलुओं का व्यापकता और व्यवस्थित प्रकार से वर्णन हे। फलदीपिका के अत्यधिक महत्त्व का एक कारण यह भी हे कि इसमें ऋषि मन्त्रेश्वर ने न केवल ऋषि पराशर, ऋषि अत्रि आदि की कृतियों का सार प्रस्तुत किया है, बल्कि गोचर आदि जैसे नए विषयों को भी सम्मिलित किया है। फलदीपिका निसन्देह सभी ज्योतिषियों के लिए एक अनिवार्य ग्रंथ है।
"डॉ, अग्रवाल ने अथक परिश्रम करते हुए श्लोकों के सटीक अनुवाद, भाषा की सरलता, श्लोक-सार एवं योगों की संरचित प्रस्तुति के साथ-साथ उदाहरणों के माध्यम से अवधारणाओं की सरल व्याख्या पर बहुत जोर दिया है। हालाँकि
फलदीपिका पर कुछ और पुस्तकें भी उपलब्ध हैं, परन्तु मुझे विश्वास है कि डॉ. अग्रवाल की यह कृति नए मानक स्थापित करेगी। उनकी यह कृति प्रत्येक स्तर के ज्योतिषियों और शोधकर्ताओं के लिए लाभदायक सिद्ध होगी।”
0.5kg | ₹40 |
1kg | ₹70 |
1.5kg | ₹110 |
2kg | ₹130 |
2.5kg | ₹138 |
3kg | ₹170 |
4kg | ₹175 |
5kg | ₹200 |
7kg | ₹270 |
10kg | ₹325 |
12kg | ₹420 |
15kg | ₹530 |
20kg | ₹850 |