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व्यय भाव की गाथा
भारतीय ज्योतिष में १२वा भाव को पाप व् बुरे फल की श्रेणी में रखा गया है जो कि हानि एवं पतन का मुख्य घर है, परन्तु मेरे विचार से यह भाव नवम से चतुर्थ होने के कारण भाग्य द्वारा प्राप्त सुख, विलासिता, भोग व् ऐश्वर्य का है क्योकि यदि हम अर्थ व्यय करते है तो फलस्वरूप हमें कोई सुख या विलासिता कि प्राप्ति होती है I
उदाहरण - यदि कोई जातक विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करता है तो हमे उस शिक्षा को प्राप्त करने के लिए बहुत सा धन व्यय करना पड़ता है परन्तु फलस्वरूप वह विदेश में ज्ञान प्राप्त कर अधिक मात्रा में धन अर्जित कर सुख प्राप्त करता है द्वादश भाव कुंडली का उच्च आकाशीय भाव है यह भाव स्त्री सुख, शयन सुख, मोक्ष, विदेश गमन, पूर्व जन्म एवं जीवन के सारे सुख व् दुखो को दर्शाता है मैं रामेश्वर पिता श्री जगन्नाथ बिरथरे इस भाव के बारे में यह कहना चाहता हु कि कुंडली के १२ ही भावो में यह व्यय का भाव बड़ा ही विचित्र व् रहस्यमय है जिसमे जीवन का भोग हुआ पूर्व जन्म और जीवन का अंत व् आने वाला जन्म का रहस्य छिपा है मुझे बचपन से ही पूर्व जन्म व् आने वाले जन्म के रहस्यो को जानने की दिलचस्पी व् रूचि रही है अतः व्यय भाव को व् व्यय भाव से जुड़ीं ज्योतिष घटना को जानने के लिए यह मेरी पुस्तक व्यय भाव की गाथा इस भाव के गुण व् दोषो को दर्शाने वाली महत्वपूर्ण आईना है I
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