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“गीता के किसी भी अनुवाद में वह प्रभाव और चारुता नहीं आ सकती, जो मूल में है। मैंने भी मूल की आत्मा को सामने लाने का भरसक प्रयत्न किया है”
डॉ. राधाकृष्णन्
शिक्षा और राजनीति के क्षेत्रों में भारत के लिए अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल करने वाले पूर्व उप राष्ट्रपति और राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन् ने इस पुस्तक में भगवद् गीता को बहुत ही सहज-सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। लेखक के अपने शब्दों में, यह पुस्तक उस सामान्य पाठक को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जो अपने आध्यात्मिक परिवेश का विस्तार करना चाहता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विद्वान लेखक ने इसमें गीता के प्रत्येक श्लोक का अर्थ और व्याख्या इस प्रकार प्रस्तुत की है कि प्राचीन विवेक का नया रूप आज के मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रकट हो जाता है।
0.5kg | ₹40 |
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20kg | ₹850 |