व्यावसायिक जीवन में उतार चढाव (शनि और वृहस्पति के गोचर पर आधारित पुनरावृति तकनीक ) वैदिक ज्योतिष पुस्तको के आधिक्य से कई बाजार भरे हुए है I जिनमे जन्मपत्रियों के सामान्य संकेत पर ही विशेष ध्यान दिया गया है I वास्तविक रूप में वैयक्तिक्त अध्ययनों द्वारा स्पष्टीकृत, सांख्यकीय रूप से परीक्षित, भविष्यवाणी की पुनरावृतिक तकनीको को दर्शाता हुआ कोई भी उत्कृष्ट शोध नहीं है I प्रथम बार यह पुस्तक न केवल वैदिक ज्योतिष के भविष्यवाणी निर्धारक गुप्त सिद्धान्तों का सुस्पष्ट और सूक्ष्म विवरण प्रस्तुत करती है बल्कि इनके सफल और पुनरावृतिक प्रयोग की व्याख्या करते हुए, इस उत्कृष्ट विज्ञानं के आलोचकों द्वारा प्रस्तुत सभी संदे यहां दी गई तकनीको का परीक्षण स्वयं प्रयोग श्री के.एन. राव के आवास की प्रयोगशाला में तथा उनके मार्गदर्शन में संचालित प्रसिद्ध विधालय भारतीय विधा भवन में...
ग्रह और संतान
इस पुस्तक का गहन अध्ययन कीजिए I ऐसा करके आप भविष्यवाणी कर पाएंगे -
१ संतान के जन्म की
२ संतान के साथ दुर्घटना इत्यादि की
३ संतानहीनता की समस्या तथा उसके दैवीय उपाय की तथा संतानहीनता और उसके साथ घटित होने वाली दुर्घटनाओं से निजात पाने की
४ संतान विषय पर ऐसी पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई I
५ प्रसूति रोग विशेषज्ञ जो ज्योतिष जानते है इस पुस्तक से लाभ उठा सकते है और वे ज्योतिषी-सहानुभूति रखने वाले प्रसूति- रोग विशेषज्ञों की मदद कर सकते है, इस पुस्तक के माध्यम से, उनको ज्योतिषीय सहायता देकर जिसकी उन्हें बहुत आवश्य्कता होती है I
Grah Aur Santaan
कंटक शनि अष्टम शनि शनि की साढ़ेसाती ( अभिशाप या वरदान एक पूर्ण संतुलन )
कंटक शनि अष्टम शनि और शनि की साढ़ेसाती, ये शनि का क्रमश: लग्न और चन्द्र से, चतुर्थ और अष्टम तथा चन्द्र और उससे द्वितीय तथा द्वादश भाव में गोचर मात्र है I लेकिन सतही ज्योतिष करने वाले, शनि एक नाम , एक शब्द जिससे समाज में भय व्याप्त है, को जोड़ कर पैसा कमाते है और जनता को उत्तरोत्तर और विशेषकर संवेदनशील महिलाओ को आतंकिंत करते है I इस सामाजिक कुरीति के विरोध में भारतीय विधा भवन के प्रागण में छात्रों द्वारा सैकड़ो कुण्डिलियों पर इन गोचरों में घटने वाली अनेकानेक घटनाओ पर शोध कार्य किया गया, जिससे निष्कर्ष निकलता है कि शनि का गोचर, मात्र घटना के समय का निर्धारण करने में सहायक सिद्ध हो सकता है लेकिन जीवन कि दिशा दशाओ से ही निर्धारित होती है I किसी भी घटना के शुभ - अशुभ होने में ग्रहो कि विभिन्न भावो व् वर्ग कुण्डलियो तथा राशियों व् नक्षत्रों में परस्पर स्थिति, योग तथा दशाक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है I बारह राशियों, सत्ताईस नक्षत्र, नो ग्रह, बारह भावो व् षोडश वर्गों से ५,५९,८७२ संयोजन बनते है, तो केवल एक गोचर के आधार पर कैसे फलित किया जा सकता है I टेलीविज़न के विभिन्न चैनलो पर तथा समाचार पत्रो में केवल चन्द्र पर शनि के गोचर के आधार पर भविष्य बताया जाता है I छः अरब की विश्व की जनता में , बारह राशियों के आधार पर ५० करोड़ व्यक्तियों का या भारत की १०८ करोड़ की जनता में ९ करोड़ व्यक्तियों का भविष्य एक सा नहीं हो सकता I दैनिक हिन्दू के प्रसिद्ध संपादक कस्तूरी रंजन स्वयं ज्योतिष जानते थे और इस पर विश्वास करते थे और भविष्यवाणी
PLANETS AND SISTERS & BROTHERS This is the third statistical research being produced this year 2014: the first is the near accurate timing of the birth of a child through...