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शनि राहु - केतु प्रकोप से मुक्ति
यमराज के भ्राता सूर्य पुत्र शनि, सिंहिकागर्भसंभूत दानवेन्द्र राहु और महाबली मृत्युपुत्र केतु- ये तीनो बड़े भयानक एवं मारक ग्रह है l जिस व्यक्ति पर इनकी कोप - दृष्टि पड़ती है, वह अभिशापों की एक लम्बी शृखंला में उलझ जाता है l शारीरिक कष्ट, धन- हानि, अप्रतिष्ठा , कार्यो में रुकावट, दरिद्रता, मतिभ्रम और शत्रुओ से घिर जाना आदि कष्ट इन प्रचंड ग्रहो के कोप के सहज फल है l जब किसी मनुष्य पर इन तीनो ग्रहो का प्रकोप होता है तो मरण, भय, पतन, अपमान, षड्यंत्र, बिमारी, दुःख, दरिद्रता, बदनामी, पाप, बेकारी, अपवित्रता, निंदा, आपत्ति, विपत्ति, कलुषता, अस्थिरता, नीच लोगो का आश्रय, कर्ज, दासता आदि अनायास उसके सामने आ खड़े होते है l
क्यों पड़ती है इन ग्रहो की कोप - दृष्टि ? कैसे अनुकूल होते है ये ग्रह ? कैसे की जाती है इनकी शांति? कैसे मिलती है इनके प्रकोप से मुक्ति ? इन सभी की शास्त्रसम्मत जानकारी दी गई है इस पुस्तक में l
इस विषय पर पहली बार हिंदी भाषा में लिखी गई अपने - आपमें एक अनूठी पुस्तक l
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