फलित ज्योतिष के तीन आधार भूत अंगों - मुहूर्त, विवाह व सन्तान की एक स्थान पर सांगोपांग व्याख्या आधुनिक परिपेक्ष में मुहूर्त की व्यवहारिक उपयुक्तता विवाह के समय का पराशरी व अष्टकवर्ग विधि से निर्णय; वैवाहिक सम्बन्ध...
पुस्तक कीं विशेषताएँ
वैदिक ज्योतिष का आधुनिक स्वरूप ग्रहों. नक्षत्रों व राशियों का सरल परिचय , भिन्न 2 लग्नो कं लिए ग्रह. कितने शुभ. कितने अशुभ ,भावों कं कारकत्व व उनमें सभी ग्रहों का प्रथक 2 फल, योग और उनका फल -धन योग. राजयोग, अरिष्ट योग , नभस योग, कुंडली विश्लेषण हेतु आवश्यक तथ्य-जन्मांग , वर्ग कुंडलियों में ग्रह स्थिति, अनुकूल दशा, गोचर, अष्टकवर्ग, दिंशोत्तरी दशा व 'जैमिनी चर दशा का प्रयोग, परामर्श कं लिए आए जातकों की कुंडलियों से द्वादश मावों का, फलादेश वक्री ग्रहों व छिद्र दशा का फल,
संसार की पहली महिला जो अंटार्कटिका अभियान". पर 16 मास तक बफोंले प्रदेश में रही की कुण्डली का रोचक विश्लेषण, कूछ कुंडलियों का विशेष अध्ययन व सत्यापन
वैदिक ज्जयोतिष का संक्षिप्त ऐतिहासिक स्वरूप व अन्य कुछ विषयों से सम्बन्ध l