Marital Astrology - English There are many books on this topic in the Astrological Market, but either the authors could not explain their views properly or tried to fit in,...
Vedic Astrology (with Roots) This book is oriented for the beginners in particular and Astrologers in general. The book commences with the Karma theory on the edifice of which Astrology...
STELLAR SECRETS –an astrological Revelation Predictive insight is to be understood from the stand of stars as Hindu astrology is based on stars. No doubt, transit rules of planets are...
Teach Yourself Hindi Hindi is called the National Language of India. Knowledge of Hindi is a must for foreign tourists, students and businessmen etc. When they come to India. It...
पंच सिद्धान्त १. ग्रहशील (ग्रहो का स्वरूप व् स्वभाव) २. ग्रह कारकत्व विचार (ग्रह अवयव रोग, लौकिक सम्बन्ध, व्यवसाय आदि ) ३. नक्षत्र सिद्धान्त (ग्रहो पर नक्षत्रो का प्रभाव )...
भावार्थ रत्नाकर भावार्थ रत्नाकर एक दृष्टि में द्वादश लग्न विचार १. मेष लग्न जातक - ४५ कुंडलियाँ २. वृष लग्न जातक - ४६ कुण्डलियाँ ३. मिथुन लग्न जातक - ४४...
अनिष्ट ग्रह उपचार १. छोटे व् सरल उपायों से स्वास्थ्य, सम्मान व् सफलता पाने के पाँच उदाहरण २. विभिन्न ग्रहो के नक्षत्र में स्थित, सूर्यादि ग्रह पर अनिष्ट प्रभाव ३...
ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य जातक की शक्ति व दुर्बलताओं का आकलन करते हुए संभावित अनिष्ट से उसकी रक्षा करना है | ज्योतिषीगण भलीभाौँति जानते हैं कि सभी ग्रह अपने बल के अनुरूप ही अपनी दशा या भुक्ति में शुभ या अशुभ परिणाम दिया करते हैं। अत: सही फल कथन के लिए ग्रह का बल तथा बल का स्रोत जानना आवश्यक है |
प्राचीन विद्वान् मनीषियों ने ग्रह बल के छः स्रोत माने हैं जिन्हें षडबल कहा जाता है। ये निम्न प्रकार हैं-
]. स्थान बल 2. दिग्बल 3. कालबल 4. चेष्टा बल 5. नेसर्गिक बल 6. दृग्बल
पुनः भाव-बल जानने के लिए भावेश ग्रह बल, ग्रहों की दृष्टि से प्राप्त भाव-बल तथा भाक-दिग्बल का प्रयोग होता है। पडबल गणना पर स्व० डा० बी०वी० रमण तथा श्री वी०पी० जैन की पुस्तक सुन्दर, सुबोध व प्रभावशाली हैं । बहुधा पाठकों को फलित करने के लिए अन्य सन्दर्भ-ग्रंथों का सहारा लेना पड़ता है | इस कठिनाई को दूर करने के लिए प्रस्तुत पुस्तक में षडब॒ल गणना के साथ फल विचार के सूत्रों काभी समावेश किया गया है।
मेरे गुरुजन परम् पूज्य श्री वी०पी० जैन, श्री रंगाचारी तथा डाक्टर श्रीमती निर्मल जिन्दल ने अपने बहुमूल्य सुझावों द्वारा पुस्तक को पठनीय ही नहीं वरन् संग्रहणीय बनाया मैं उनका आभारी हूँ। मैं आभारी हूँ प्रोफेसर कुमार विवेकी का जिन्होंने षडबल सारिणी सहित उदाहरण कुंडलियाँ देकर बहुमूल्य योगदान किया ।