शरीर लक्षण एवं चेष्टाएँ शरीर लक्षण ज्योतिष शास्त्र का एक प्रमुख अंग है l वैदिक साहित्य से लेकर, आधुनिक साहित्य व ज्योतिष वाड्मय में मानव शरीर - लक्षणों के तथ्य...
हाथ का अंगूठा - भाग्य का दर्पण अंगूठा चैतन्य शक्ति का प्रधान केंद्र है I इसका सीधा सम्बन्ध मस्तिक से होता है I फलत: अंगूठा इच्छा शक्ति का केंद्र माना...
प्राचीन सामुद्रिक शास्त्र (भाग -१ एवं भाग -२) शरीर लक्षण एवं आकृति विज्ञानं के साथ सम्पूर्ण हस्तक्षेप विज्ञानं, जिसमे चित्रों द्वारा एक- एक रेखाओं एवं रेखाओं से बने योगों को...
सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसके द्वाय हम मनुष्य के अंगों क़ो देखकर उसके स्वभांव एवं चरित्र का| पता लगा सकते हैं। जिस प्रकार हाथ की रेखाओं को देखकर जातक के भूत-भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती. है, उसी प्रकार हमें इस अंग-विद्या द्वारा जातक की मुखाकृति, शरीर की बनावट, हाव-भाव, चाल-छाल तथा अन्य क्रिया-क़लापों को
देखकर उसके स्वभाव, चरित्र, रुचि एवं अन्य विषयों के संबंध में ज्ञान प्राप्त होता है |
यह "विद्या ब्रहुत प्राचीन है। आज से सहसों वर्ष पूर्व लिखे गए पुराण; स्मृति, रामायण , महाभारत आदि, संस्कृत ग्रंथों में भी मनुष्य-शरीर” के विभिन्न शुभ-अशुभ लक्षणों का उल्लेंख प्रायां जाता है। प्रस्तुत पुस्तक उसी ज्ञान पर आधारित है। इसमें मानव-अंग्गो के लक्षणों की संपूर्ण जानकारी दी गई है।
मुखाकृति की अभिव्यक्तियाँ परिस्थितियों पर ही निर्भर नहीं होती, बल्कि किसी हद तक पैतृक भी होती है,माँ का जीवन सुखी और हर्सोल्लासपूर्ण हो तो उसके बालक के मुख पर भी उल्लास...
सामुद्रिक शास्त्र के विषय सूचि के कुछ अंश १. सामुद्रिक शास्त्र, हस्तरेखा विज्ञानं और ज्योतिषशास्त्र एक समान महत्व रखते है २. प्रेम में असफलता ३ सुखहीन विवाह ४. संतानहीन योग...