My Journey: Transforming Dreams Into Actions documents the life of a young boy from Rameshwaram, who not only became a renowned scientist in India, but also held the highest post...
मालविका अय्यर ने तेरह वर्ष की उम्र में आयुध फैक्टरी में हुए भीषण विस्फोट में अपने दोनों हाथ खो दिए। दोनों पैरों में भी गंभीर चोटें आईं। इसके बाद 18 महीने अस्पताल में रही और चरणबद्ध ऑपरेशनों का दर्द झेला। इतने बड़े हादसे के बाद तो कोई भी हिल जाए, लेकिन मालविका ने हिम्मत नहीं हारी। मात्र चार महीने की पढ़ाई से मालविका दसवीं में 97 प्रतिशत अंक लाने में सफल रही। गणित और विज्ञान में सौ में से सौ और हिंदी में 97 अंक लाकर पूरे तमिलनाडु राज्य में टॉप किया। यही नहीं, बारहवीं कक्षा में 95 प्रतिशत
जीवन सौरभ Author- Shriram आनन्द ही जीवन की वास्तविक सुंगध है I यही जीवन का परम् उद्देश्य है I हमारे जीवन के सभी लक्ष्य वास्तव में इसी परम् उद्देश्य की...
Osho Siddarth - Ek Sadguru ki Jeevan Yatra [Hindi] by Osho Devendra Publisher: Oshodhara ओशो सिद्धार्थ -एक सद्गुरु की जीवन यात्रा हम सभी बचपन से ही राम और कृष्ण के अवतरण...
Author- Joseph Murphy Dr. Joseph Murphy's classic book The Power of Your Subconscious Mind was first published in 1963 and became an immediate bestseller; it was acclaimed as one of...
Author- Joseph Murphy Dr. Joseph Murphy’s classic book The Power of Your Subconscious Mind was first published in 1963 and became an immediate bestseller; it was acclaimed as one of...
सम्पूर्ण चाणक्य नीति Author- Vishwamitra Sharma मैं अनेक शास्त्रों से एकत्रित किए गए राजनीति सम्बन्धी ज्ञान का वर्णन करूँगा l श्रेष्ट पुरुष इस शास्त्र का विधिपूर्वक अध्ययन करके यह बात...
Author- Paramhansa Yogananda In this anthology, Journey to Self-Realization, Paramahansa Yogananda shows us how we can experience the Divine Presence within us and in all life - not just as a...
चाणक्य नीति Author- Chanakya
विष्णुगुप्त चाणक्य एक असाधारण बालक थे I उनके पिता चणक एक शिक्षक थे I वह भी शिक्षक बनना चाहते थे I उन्होंने तक्षशिला विश्ववविधालय में राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की I इसके पूर्व वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का उन्होंने किशोर वय में ही अध्ययन कर लिया था I
उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकतां से उसके साथी तथा शिक्षक भी प्रभावित थे ; इसी कारण उन्हें ' कौटिल्य ' भी कहा जाने लगा I अध्ययन पूरा करने के बाद तक्षशिला विश्ववविधालय में ही चाणक्य अध्यापन करने लगे I इसी दौर में उत्तर भारत पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों की गिद्ध दृष्टि पड़ी, जिनमे सेल्यूकस, सिकंदर आदि प्रमुख है Iपरन्तु चाणक्य भारतवर्ष को एकीकृत देखना चाहते थे I अत: उन्होंने तक्षशिला में अध्यापन-कार्य छोड़ दिया और राष्ट्र सेवा का व्रत लेकर पाटलिपुत्र आ गए I
चाणक्य का जीवन कठोर धरातल पर अनेक विसगतियों से जूझता हुआ आगे बढ़ा I कुछ लोग सोच सकते है कि उनका जीवन -दर्शन प्रतिशोध लेने की प्रेरणा देता है; लेकिन चाणक्य का प्रतिशोध निजी प्रतिशोध न होकर सार्वजनिक प्रतिशोध था I उन्होंने जनता के दुःख: दर्द को देखा और स्वय भोगा था I उसी का फरियाद लेकर राजा से मिले थे