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श्री विश्वविजय पंचांग की हीरक जयन्ती
पराम्बा तथा श्री विश्वनाथ की अहैतुकी अनुकम्पा और सन्मित्र, सहयोगी लेखक एवं स्नेही पाठको के समवेत सौहाद्र से इस वर्ष पंचांग का चौहत्तरवां वर्ष पूर्ण हुआ है I आगामी वर्ष विक्रम संवत 2075 में यह पंचांग अपने प्रकाशन के पचहत्तर वे वर्ष में प्रवेश करके हीरक जयन्ती का गौरव आप सभी के सहयोग से प्राप्त करेगा I पंचांग के आघ प्रवर्तक स्वर्गीय श्री हरदेव शर्मा त्रिवेदी जी ने अथक, अनवरत परिश्रम से इसे पल्ल्वित, पुष्पित करते हुए श्री माँ शारदा की तथा विद्यानुरागी पाठको की आयोजित सेवा का अनुपम इतिहास रचित किया है I उनके निर्देशों का यथा सम्भव परिपालन करते हुए विगत वर्षो में अनेक खगोलीय गणनाओ तथा अन्य आवश्यक विषयो को परिवर्धित करके पंचांग के कलेवर को समृद्ध करने का प्रयास किया जाता रहा है I सभी स्नेही सहयोगियों और विद्यानुरागी लेखकों से विन्रम निवेदन है कि आगामी "हीरक जयंती " प्रकाशन के लिए मौलिक लेख और अन्य सम्बन्धित विषयो के आलेख ज्येष्ठ मास तक स्थायी पते पर भेजने का सहयोग देवे I