kundalini-shakti-yog-tantrik-sadhna-prasang
  • SKU: KAB1772

Kundalini Shakti Yog Tantrik Sadhna Prasang [Hindi]

₹ 553.00 ₹ 650.00
  • Product Type: Book
  • Barcode: 9789381484241
DESCRIPTION

कुण्डलिनी-शक्ति उस आदिशक्ति का व्यष्टि रूप है, जो समष्टि रूप में सम्पूर्ण विश्व-ब्रह्माण्ड में चैतन्य और क्रियाशील है । जहाँ तक कुण्डलिनी-शक्ति की प्रसुप्तावस्था की बात है, तो उसके सम्बन्ध में यह बतला देना आवश्यक है कि मातृगर्भस्थ शिशु में वह जाग्रत्‌ रहती है, लेकिन जैसे ही शिशु भूमिगत होता है, वह.निद्वित हो जाती है । एक बात और है, वह यह कि मनुष्य की जाग्रत्‌ अवस्था में कुण्डलिनी-शक्ति प्रसुप्त रहती है और स्वप्नावस्था तथा सुषुध्ति अवस्था में तन्द्रिल रहती है। पहली अवस्था में उसका सम्बन्ध स्थूल शरीर से और दूसरी अवस्था में सूक्ष्म-शरीर से रहता है और जब साधना के बल से जाग्रत्‌ और चैतन्य होती है तो उसका सम्बन्ध कारण-शरीर से हो जाता है ।

._ जैसा कि स्पष्ट है कौल मत का मुख्य लक्ष्य है--'अद्वैत-लाभ' , जिसका्‌ तात्पर्य   है जीवभाव से मुक्ति और अन्ततः परम निर्वाण । लेकिन अद्वैत-लाभ निहित है शरीरस्थ शिव-शक्ति के मिलन में, सामरस्य में और योग में । इसी  को कुष्डलिती योग की संज्ञा दी गयी हैं। समस्त योगों में यही एक ऐसा योग है जो तंत्र के गुह्म आयामों पर आधारित है, इसीलिए इसे महायोग अथवा परमयोग कहा गया है । यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि पातज्जलयोग जहाँ समाप्त होता है , वहाँ से कुण्डलिनी योग प्रारम्भ होता है ।

-साधना के मुख्य चार चरण हैं । प्रथम चरण में कुण्डलिनी शक्ति का जागरण , दूसरे  चरण में कुण्डलिनी-शक्ति का उत्थान, तीसरे चरण में चक्रों का क्रमशैः भेदन और अंतिम  चौथे चरण में सहस्रार स्थित शिव के साथ सामरस्य अथवा महामिलन होता है । इन चारों चरणों की साधनों योग:तंत्र की बाह्य और अभ्यन्तर दोनों क्रियाओं द्वारा सम्पन्न: होती है ।

REVIEWS

RECENTLY VIEWED PRODUCTS

BACK TO TOP