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Vastu Shastra ke Rahasya (Part -2) [Hindi]

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  • Barcode: 9798179480419
DESCRIPTION

वास्तु शास्त्र का रहस्य (वॉल-२)

वास्तु  शास्त्र भवन निर्माण की प्राच्य विधा है, जो हमें प्रकृति के ऊर्जा क्षेत्रो से तालमेल बिठाने की कला सिखाती है l पंच महातत्व अर्थात जल, पृथ्वी, अग्नि,वायु और आकाश से उतपन्न ऊर्जा बहुधा रश्मि या प्रकाश किरण सरीखी सीधी चलकर प्रवर्तित हुआ करती है l ऊर्जा का अनुभव भूखंड के आकर -प्रकार पर निर्भर करता है l भौतिक स्तर पर ऊर्जा के शुभ प्रभाव में, भवन की लंबाई, चौड़ाई व् ऊंचाई के परस्पर अनुपात की महत्वपूर्ण भूमिका हुआ करती है l 

वर्गाकार आकृति को श्रेष्ठतम तथा उसके बाद आयताकार को भी उत्तम माना जाता है l हाँ, आयताकार भूखंड में लंबाई, चौड़ाई के अनुपात का विचार करना आवश्यक है l ऐसी बात नहीं है क़ि अन्य आकार के भूखंड का भवन निषिद्ध है अथवा पश्चिम या दक्षिण दिशा के भूखंड मात्र मुसीबते बढाते है l किन्तु सत्य यही है क़ि आकृति का सीधा सम्बन्ध ऊर्जा क्षेत्र के निर्माण से जुड़ा है l विषम आकृति,जैसे त्रिकोण, पंचकोण या वृताकार भवन, ऊर्जा उत्पादन और वितरण में असंतुलन पैदा करते है I यदि वर्गाकार अथवा आयताकार   भूखंड /भवन में लंबाई, चौड़ाई व् ऊंचाई के परस्पर अनुपात की अनदेखी की जाए तब वह भी शायद विषम आकृति सरीखा अशुभ व् अनिष्टप्रद हो जाएगा I कारण -यह भूखण्ड वांछित ऊर्जा या शक्ति तरंगे उत्पन्न नहीं कर पाएगा I

वास्तु शास्त्र दिशा और प्राकृतिक ऊर्जा पर आधारित है I रिक्त स्थान में चुम्बकीय विधुत तरंगे हुआ करती है I कभी ऋणात्मक या अशुभ ऊर्जा तरंगे मानव मन व् देह में अनावश्यक तनाव पैदा करती है I अत: अनिष्टप्रद तरंगो का ज्ञान व् उनसे बचने के उपाय जानना नितान्त आवश्यक है I अन्यथा अनजाने व् अनचाहे रूप से जीवन में दुःख क्लेश व् बाधाओ की वृद्धि हो जाएगी और जीवन नरकतुल्य बन जाएगा I

वास्तु के गुणात्मक प्रभाव का सही मूल्यांकन कर कक्षो की स्थिति में सुधार लेखक ने अपने अनुसंधान व् अनुभव से सीखा है I इसी प्रकार रंग सज्जा का विभिन्न कक्षो की स्थिति तथा अन्य जन्म कुंडली से संबंध भी इस पुस्तक की विशेषता है I  अनेक बार  रंग बदलने से, भाड़ी तोड़फोड़ से बचा जा सकता है I निश्चय ही रंग भी अनिष्ट ऊर्जा नष्ट करने में विशिष्ट भूमिका निभाते है I 

 

 

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