yudh-aur-shanti
Sold Out
  • SKU: KAB1912

Yudh aur Shanti [Hindi]

₹ 383.00 ₹ 450.00
  • Product Type: Book
  • Barcode: 978817329647
DESCRIPTION

 अन्ना पावलोव्ना का आदर किसी से कम न था। वह सात्राज्ञी मार्या फ्योदोरोव्ना की  विश्वस्त व सम्मानप्राप्त सेविकाओं में गिनी जाती थी। यह घटना, ठीक तारीख तो याद नहीं, किंतु हां, जुलाई 805 की ही है। इधर कुछ दिनों से उसे खांसी हो रही थी। उस दिन सुबह ही उसने अपने सेवक को जो लाल वर्दी पहने हुए था, सबके पास एक सन्देश लेकर भेजा। उसमें लिखा था, “काउंट अथवा प्रिंस! यदि आप अन्य कार्यों की अपेक्षा इसे अच्छा समझें और सायंकाल अपने समय को एक बेकार व्यक्ति के साथ बिताना अरुचिकर न समझें तो निस्संदेह आपसे सात से दस बजे तक अपने घर पर मिलकर मुझे बहुत प्रसन्‍नता होगी-अनाते शैरर ।'

प्रिंस वासिली वहां पहुंचने वालों में सबसे पहला था। परस्पर अभिवादन कर उनमें बातें आरम्भ हो गईं। अन्ना पावलोनना बोली, 'जिनेवा और ल्यूका तो अब बोनापार्ट कूटठम्ब की वैयक्तिक सम्पत्ति मात्र ही रह गई हैं-हां, यदि आप कहें युद्ध ...बैर, अब आप कैसे हैं? प्रसन्‍न तो हैं न?

उसने अभी तक उससे बैठने को नहीं कहा था, इसलिए बोली, “यहां कुर्सी पर तशरीफ रखिए ।'

प्रिंस वासिली दरबार की पोशाक पहने हुए था। उसके मोजे, चप्पलों और कोट पर लगे 'तमगों से कोई भी यह सोच सकता था कि शायद वह सीधा दरबार से ही वहां चला आया था। उसने मुस्कराते हुए अन्ना से हाथ मिलाया, सम्मान में सिर झुकाया और सोफे पर बैठते हुए कहा, "मित्र, सबसे पहले अपने स्वास्थ्य के बारे में बतलाकर मुझे निश्चिंत करो / उसके उस सहानुभूतिपूर्ण शिष्ट ढंग में भी उपेक्षा और व्यंग साफ झलक रहे थे।

'कोई जब मानसिक कष्ट में हो तो कैसे ठीक रह सकता है? जरा-सी भावुकता भी आजकल के समय में व्यक्ति को विपत्ति में डाल देती है! अन्ना पावलोग्ना बोली, “आशा है, आज की शाम तो आप मेरे ही साथ बिताएंगे।'

आज बुधवार है; मुझे अंग्रेजी दूतावास में भी अधिक नहीं तो कम-से-कम अपनी शकल दिखलाने को तो जाना ही पड़ेगा और मेरी लड़की मुझे वहां लिवा ले जाने के लिए आती ही होगी |

"दूतावास जाना है! प्रिंस नोवोसिल्तसोव द्वारा भेजी गई सूचना के संबंध में क्या तय हुआ? अन्ना पावलोना बोली, तुम्हें तो सब मालूम है ।'

अरे, उसके बारे में कहने को ही कया है? बोनापार्ट ने तो अपनी बरबादी की पूरी तैयारियां कर ही ली हैं और अब हम लोग भी बर्बाद होने वाले हैं।” प्रिंस वासिली ने अपने चिरअभ्यस्त नाटकीय ढंग से कहा उनमें इसी भांति राजनीतिक वार्ताएं होने लगीं ।

बातों ही बातों में अन्ना पावलोन्ना उत्तेजित हो कहने लगी, “मुझसे आस्ट्रिया की बातें मत करो। उसकी बात मैं कुछ नहीं जानती | लेकिन फिर भी जहां तक मैं समझती हूँ, शायद आस्ट्रिया युद्ध नहीं चाहता, वह हमको धोखा दे रहा है। योरुप की रक्षा तो केवल रूस ही कर रहा है।

5: युद्ध और शांति

REVIEWS

RECENTLY VIEWED PRODUCTS

BACK TO TOP