अघोरी साधु को औघड़ भी कहा जाता है। “अघोरी” उसे कहा जाता है जिसके भीतर अच्छे-बुरे, सुख-दुःख, प्रेम-द्वेष, ईर्ष्या-मोह जैसे समस्त भाव नष्ट हो चुके हों । ये अघोरी कई बार अनेक...
शक्ति हमेशा पूज्य है । शक्ति का ही एक रूप है यक्षिणी । ब्रह्माण्ड में अनेकों लोक हैं, सबसे निकट का लोक यक्ष और यक्षिणियों का है। पृथ्वी के निकट होने के...